- कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की सनातन विरोधी नीति को सर्वे के नाम पर देश में लागू करने की तैयारी
- देश के संसाधनों पर मुस्लिमों के पहले हक पर अपने वादे पर स्थिति साफ करें कांग्रेस
देहरादून। भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आउटसोर्स से घोषणापत्र बनाने वाली कांग्रेस अब बेनकाब हो चुकी है और सनातन विरोधी संकल्पों को सार्वजनिक करने से डर रही है। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत मे कहा कि सामाजिक आर्थिक सर्वे के आधार पर देश लूटने का हिडन एजेंडा इनके न्याय पत्र में है, जिसकी पीएम मोदी ने पोल खोल दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के न्याय पत्र में बहुसंख्यकों के साथ किए अन्याय की पोल खोल दी है।
यही वजह है कि दिल्ली से लेकर देहरादून तक सभी कांग्रेसी नेताओं के लिए जनता के सामने मुंह दिखाना मुश्किल हो गया है। कांग्रेस में वैचारिक शून्यता इस कदर हो गई है कि वे वामपंथियों से अपना घोषणापत्र बनवाते हैं। इतना ही नही, घोषणापत्र में सामाजिक आर्थिक सर्वे की बात करते हैं और उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकारने मे भी डरते हैं । यही वजह है कि जब जनता में मोदी ने इसकी चर्चा की तो उनके होश फाख्ता हो गए हैं । सभी जानते हैं कि सर्वे में जनता की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली जाएगी तो उसमे घर की सभी चल अचल संपत्ति का होना स्वाभाविक है । लेकिन अब जनता की नाराजगी के डर से कांग्रेसी उसे स्वीकार करने से कतरा रहे हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के उस बयान को याद दिलाते हुए उन्होंने पूछा कि संसाधनों पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का पहले अधिकार के वादे से कांग्रेस इनकार कर सकती है ? क्या कांग्रेस ब्।। को वापिस लेकर घुसपैठियों को संरक्षण नही देना चाहती है ? यही वजह है कि जब सर्वे होगा तो कार्यवाही भी होगी और संसाधनों के पहले हक की नीति कर अमल भी होगा। जनता बखूबी जानती है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति पर चलती आई है। आज फर्क सिर्फ इतना आया है कि अब वे यह सब वे बंद कमरों और घोषणापत्रों की भाषा में छिपकर करते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन की संपति पर सरकारी अधिकार का ताजा उदाहरण तो कर्नाटक है, जहां मंदिरों के चढ़ावे पर 10 प्रतिशत टैक्स के रूप में कटमनी लेने की नीति पर कांग्रेस सरकार काम कर रही है । इसी तरह तमिलनाडु में मठ मंदिरों के प्रबंधन पर सरकार काबिज है । वहीं केरल में मंदिरों में भगवा रंग के इस्तेमाल पर वहां की कम्यूनिस्ट सरकार को आपत्ति हो जाती है। यही वजह है कि उन्होंने वामपंथियों से घोषणापत्र में इस नीति को शामिल किया है और नाराजगी के डर से इसकी सार्वजनिक घोषणा नही कर रहे हैं।