उत्तराखंडदेहरादून

तेलगु लघु कथाओं के साहित्यिक परिदृश्य पर बातचीत

देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं गोगा श्यामला और तेलगु लघु कथाओं का परिदृश्य विषय पर एक वार्ता का आयोजन किया गया. इस वार्ता में श्री निकोलस हॉफलैण्ड द्वारा युवा अध्येता अम्मार यासिर नक़वी से बातचीत की गई। इस बातचीत में दक्षिण भारतीय साहित्य” श्रृंखला में मलयालम व तमिल साहित्य के संदर्भ में गोगु श्यामला और तेलुगु लघु कथाओं के विविध आयामों तथा लघुकथा की शैली से जुड़े बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक सार्थक चर्चा करते हुए अम्मार नक़वी ने अपने वक़्तव्य में कहा कि जो बात तेलुगु को एक भाषा के रूप में अद्वितीय बनाती है, वह है इसका दक्कनी भाषा के साथ जुड़े अथवा बने रहना । उन्होंने सामान्य रूप से भारतीय साहित्य और विशेष रूप से तेलुगु साहित्य में अनुवाद और नवीनतम रुझानों पर भी चर्चा की । निकोलस ने कथानक शैली के रूप में छोटी कहानियों के क्षेत्र, तेलुगु साहित्य के इतिहास के साथ-साथ दलित और महिला लेखन पर भी अम्मार नकवी से सवाल किये. अम्मार ने विशेष रूप से गोगु श्यामला के लेखन, उनकी लेखन शैली, गाँव के शब्द चित्रण और उनकी कहानियों में वर्णित बच्चों के अनूठे विवरण पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया . बातचीत में पेंटालु और चालम जैसे राष्ट्रवादी युग के लेखकों के लेखन व उनकी आधुनिकतावादी प्रवृत्ति पर भी चर्चा हुई.

बातचीत के दौरान तेलगु के सत्यागनी, जे गौरी और शरीफ जैसे अन्य लेखकों में जानकी रानी और पी सत्यवती जैसी अन्य महिला लेखकों की लेखन शैली , तेलुगु, तमिल और मलयालम लघु कथाओं पर तुलनात्मक विश्लेषण तथा उनसे जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग उभर कर आये ।

कार्यक्रम के प्रआरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों वक्ता और उपस्थित प्रतिभागी लोगों का स्वागत किया. इस अवसर पर डॉ. विजय बहुगुणा, के बी नैथानी, डॉ. अतुल शर्मा, लालता प्रसाद, बिजू नेगी, राकेश कुमार, सुंदर सिंह बिष्ट, सुरेंद्र सजवान सहित पाठकगण , लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button