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बाबा खाटू श्याम का प्रथम भव्य संकीर्तन महोत्सव देहरादून में

देहरादून: बलबीर रोड स्थित आरके मोटर वर्कशॉप के निकट शनिवार शाम को श्याम शखा परिवार संकीर्तन मंडल के तत्वावधान में बाबा खाटू श्याम का विशाल जागरण का आयोजन किया गया। बाबा का विशाल भव्य दरबार कोलकाता से आए विभिन्न प्रकार के फूलों व लाइटों से सजाया गया। जागरण में मुख्य रूप से पधारे भजन प्रवाहक रिमांशु सिंगल व अर्पण महेश्वरी ने ज्योत प्रज्वलित कर बाबा के मंगलाचरण से संकीर्तन की शुरूआत की। इसके बाद भजनों की अमृत वर्षा से श्यामजी को रिझाया, हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा, लेने आजा खाटू वाले रींगस के उस मोड़ पर, छम -छम नाचे देखो वीर हनुमाना, तू किरपा कर बाबा कीर्तन करवाउंगा, सांवरे आदि बाबा के भजन गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया |

खाटू श्याम सेवा समिति के सदस्य विजय कश्यप व पवन मिश्रा ने बताया कि खाटू श्यामजी भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं। महाभारत के भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरिक थे। बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं। इनकी माता का नाम हिडिम्बा था।

उन्होंने बताया खाटू श्याम बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे। युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिन्दु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा। बर्बरीक की इस घोषणा से कृष्ण चिंतित हो गए।

भीम के पौत्र बर्बरीक ( खाटू श्याम ) के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्रीकृष्ण उसकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए उपस्थित हुए तब बर्बरीक ने अपनी वीरता का छोटा-सा नमूना मात्र ही दिखाया। कृष्ण ने कहा कि यह जो वृक्ष है ‍इसके सारे पत्तों को एक ही तीर से छेद दो तो मैं मान जाऊंगा। बर्बरीक ने आज्ञा लेकर तीर को वृक्ष की ओर छोड़ दिया।

जब तीर एक-एक कर सारे पत्तों को छेदता जा रहा था उसी दौरान एक पत्ता टूटकर नीचे गिर पड़ा। कृष्ण ने उस पत्ते पर यह सोचकर पैर रखकर उसे छुपा लिया की यह छेद होने से बच जाएगा, लेकिन सभी पत्तों को छेदता हुआ वह तीर कृष्ण के पैरों के पास आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु आपके पैर के नीचे एक पत्ता दबा है कृपया पैर हटा लीजिए, क्योंकि मैंने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने की आज्ञा दे रखी है आपके पैर को छेदने की नहीं।

बर्बरीक के इस चमत्कार को देखकर कृष्ण चिंतित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण यह बात जानते थे कि बर्बरीक प्रतिज्ञावश हारने वाले का साथ देगा। यदि कौरव हारते हुए नजर आए तो फिर पांडवों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा और यदि जब पांडव बर्बरीक के सामने हारते नजर आए तो फिर वह पांडवों का साथ देगा। इस तरह वह दोनों ओर की सेना को एक ही तीर से खत्म कर देगा।

तब भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के द्वार पर पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा- मांगो ब्राह्मण! क्या चाहिए? ब्राह्मणरूपी कृष्ण ने कहा कि तुम दे न सकोगे। लेकिन बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गए और कृष्ण ने उससे उसका शीश मांग लिया।

विजय ने बताया कि बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।

इस अवसर पर श्री खाटू श्याम सेवा समिति के बबली कश्यप,विजय कश्यप,पारस कश्यप, पवन मिश्रा, विकी कश्यप,आशीष सिंह, सतीश कुमार, राहुल, अंकित कनोजिया, राहुल केसले, भूपेंद्र, अजय तिवारी,गौरव, तुषार, हिमांशु, पुच्ची सन्नी आदि लोग उपस्थित रहे।

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