
नैनीताल। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से संबंधित राज्य सरकार की ओर से अतिक्रमणकारियों का नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सख्त रुख अख्तियार करते याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस संबंध में अपना एक प्रत्यावेदन विभाग को दें। विभाग उसे विधि अनुसार निस्तारित करे। अगर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वे फिर से कोर्ट में आ सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि वोट देने का यह अधिकार उन्हें संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत दिया गया है। इससे उनको न तो कोर्ट न ही सरकार वंचित कर सकती है। अगर वे अतिक्रमणकारी भी हैं तो उन्हें उसका नोटिस दें। उस पर कार्रवाई करें, जो सरकार ने नियमावली बनाई है, वो आधारहीन है।
दरअसल, उधम सिंह नगर के आनंद नगर निवासी भजन समेत अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उनका कहना है कि राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी कर कहा है कि जिन लोगों ने सरकारी, वन भूमि व अन्य जगह पर अतिक्रमण किया है, उन्हें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में वोट देने एवं प्रतिभाग करने से वंचित किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जारी वोटर लिस्ट से पता चला कि उनका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है। सरकार ने उनका वोट देने का अधिकार छीन लिया है। जबकि, वे इससे पहले के सभी चुनावों में वोट देते आए हैं। उन्हें प्रधानमंत्री आवास मिले हैं। अब वे कैसे अतिक्रमणकारी हो गए?
वर्तमान सरकार अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाह रही है। हमारा जनसेवक दूसरी पार्टी से है। इसलिए उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया। जिस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत किसी को वोट देने से वंचित नहीं किया जा सकता। साथ ही याचिकाकर्ता को संबंधित विभाग में प्रत्यावेदन देने को कहा है।