वन विभाग में हॉफ की कुर्सी को लेकर बुधवार को तस्वीर साफ हो सकती है आज

उत्तराखंड: वन विभाग में हॉफ की कुर्सी को लेकर बुधवार को तस्वीर साफ हो सकती है। इस मामले में सरकार कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है। सूत्रों की मानें तो ऐसा फामूर्ला तैयार किया जा रहा है, जिससे दोनों ही पीसीसीएफ हॉफ के पद से रिटायर हो जाएं, लेकिन यह तभी संभव है, जब इस मामले में दोनों की सहमति हो। बताया जा रहा है कि इसको लेकर कवायद शुरू हो चुकी है।
सोमवार को राजीव भरतरी ने प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के तौर पर सामान्य कामकाज निपटाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा था कि शासन से निर्देश मिलने के बाद मंगलवार को विनोद कुमार सिंघल पुन: हॉफ की कुर्सी संभालेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब इस मामले में सबकी निगाहें शासन के रुख पर लगी हुई हैं। उत्तराखंड वन विभाग में हाईकोर्ट के आदेश पर पीसीसीएफ की कुर्सी से हटे विनोद कुमार सिंघल को एक दिन पहले ही सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
ऐसे में माना जा रहा था कि मंगलवार को एक बार फिर विनोद कुमार सिंघल हॉफ की कुर्सी संभाल लेंगे। इसको लेकर सुबह से ही वन मुख्यालय में गहमागहमी का माहौल था। इसी मुद्दे को लेकर शासन में भी दिनभर हलचल रही, लेकिन देर शाम तक शासन की ओर से कोई आदेश पारित नहीं होने पर यथा स्थिति बनी हुई थी। माना जा रहा है कि सोमवार को कैबिनेट की बैठक के चलते इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया जा सका। अब सबकी निगाहें मंगलवार को कोर्ट की कार्यवाही पर लगी हैं।
इस बीच पीसीसीएफ राजीव भरतरी ने सोमवार को वन मंत्री सुबोध उनियाल के साथ ही प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से मुलाकात की। उनकी इस मुलाकात में क्या बात हुई, इसका तो खुलासा नहीं हो पाया, लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि मामला अब आपसी सहमति की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। हालांकि इस संबंध में राजवी भरतरी और विनोद कुमार सिंघल दोनों ही वरिष्ठ अधिकारियों ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि मंगलवार को इस मामले में कोई न कोई फैसला ले लिया जाएगा।
शासन की ओर से पाखरो टाइगर सफारी निर्माण मामले में पीसीसीएफ राजीव भरतरी को चार्जशीट दी गई है, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। इसके अलावा भरतरी मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को अपना अंतरिम फैसला सुनाया था। अगले सोमवार 24 अप्रैल को इस मामले में फिर से सुनवाई होनी है। वहीं, दूसरी ओर राजीव भरतरी की ओर से कैट में फिर अवमानना याचिका दाखिल की गई है। इस पर भी 24 अप्रैल को ही सुनवाई होनी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कोर्ट में दाखिल इन याचिकाओं के फैसले का असर आगे शासन के किसी निर्णय पर न पड़े, इसलिए कानूनी रूप से सभी पक्षों को देखा जा रहा है, ताकि आगे कोई दिक्कत ना हो।