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कृषि मंत्री गणेश जोशी ने सुना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘मन की बात’ का 127वां संस्करण

देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखंड के कृषि, सैनिक कल्याण एवं ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने नई दिल्ली स्थित उत्तराखंड निवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 127वें संस्करण को सुना।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का संवाद न केवल जनभावनाओं को स्पर्श करता है, बल्कि प्रत्येक नागरिक में कर्तव्य, गर्व और आत्मनिर्भरता की भावना भी जागृत करता है। उन्होंने कहा कि ‘मन की बात’ देश के करोड़ों नागरिकों के साथ हृदय से संवाद का एक पवित्र माध्यम बन चुका है।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में छठ महापर्व की शुभकामनाएँ देते हुए इसे संस्कृति, प्रकृति और समाज की एकता का उत्सव बताया। उन्होंने कहा कि छठ का पर्व भारत की सामाजिक एकता का सुंदर प्रतीक है।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभियान का उल्लेख करते हुए इसे नए भारत की जीत का प्रतीक बताया। उन्होंने स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी और जीएसटी बचत उत्सव को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सशक्त कदम बताया।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा बलों द्वारा भारतीय नस्ल के श्वानों को अपनाने और उन्हें भारतीय नाम देने की परंपरा की सराहना की। उन्होंने बीएसएफ और सीआरपीएफ के इन प्रयासों की बधाई दी।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए ‘गॉरबेज कैफे‘ बेंगलुरु की झीलों के पुनर्जीवन अभियान और गुजरात के धोलेरा में मैंग्रोव वनों के उदाहरण साझा किए और जनता से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को जनआंदोलन बनाने का आह्वान किया।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर को मनाए जाने वाले ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ और ‘रन फॉर यूनिटी’ में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने सरदार पटेल की 150वीं जयंती को ऐतिहासिक अवसर बताया और युवाओं से अधिकाधिक भागीदारी का आह्वान किया।

जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान और मातृभूमि प्रेम का प्रतीक बताया। उन्होंने आदिवासी नायकों जैसे बिरसा मुंडा और कोमरम भीम को नमन किया और 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस व्यापक रूप से मनाने का आह्वान किया।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘मन की बात’ केवल संवाद नहीं बल्कि जनजागरण का अभियान है, जो एकता, संस्कृति और स्वावलंबन के मूल्यों को नई ऊँचाई देता है। उन्होंने कहा कि देशवासियों को ‘वन्देमातरम्’ के 150वें वर्ष के अवसर पर इसके गौरवगान में स्वतः स्फूर्त भागीदारी करनी चाहिए और अपने सुझाव #VandeMatram150 के साथ साझा करने चाहिए।

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