
उत्तराखंड : महामंडेस्वर महादेव जिनका मंदिर है देहरादून से 128 km दूर | यह वही स्थान है जहाँ पर पांडवो को लाखामहल बनवा कर कौरवों ने आग लगा कर मारने की कोशिश की थी और वह एक सुरंग से बाहर निकल कर चले गए थे | इसी के कारण इस स्थान का नाम लाखामंडल पडा | यहा से निकल कर पांडवो ने जो मंदिर बनाया था यह वही मंदिर है और यहां पर पांडू पुत्र युधिष्ठिर ने महादेव की स्थापना की थी |
यहाँ पर शिव लिंग के सामने दो मूर्ती खडी हुई है जिन मे से एक का हाथ नहीं है ऐसा क्यो यह अभी तक रहस्य है | परंतु जो यहां का सबसे बडा रहस्य है जिससे समस्त मैडिकल टीम और वैज्ञानिक अचरज में है वह है किसी भी मृत व्यक्ति का यहा पर जिन्दा हो जाना |
जब किसी मृत व्यक्ति के शरीर को शिव लिंग और पुतलों के पास रख कर जब मंदिर के पुजारी पवित्र गंगा जल मृत शरीर पर छिड़कते हैं तो वह आदमी थोड़ी देर के लिए जिन्दा हो जाता और ईश्वर का नाम लेता, फिर पुजारी उस के मुह मे गंगा जल डालते तो उसके बाद उसका शरीर फिर से मृत हो जाता |
यहां तक अगर मंदिर के सामने से अगर किसी मृत व्यक्ति को ले जाया जाता है तो मंदिर के सामने पहुचने पर उसके शरीर मे भी हलचल होती है जिन लोगों को इन बातो पर विश्वास नहीं होता वह लोग भी और वैज्ञानिक भी यह सब चमत्कार अपनी आखों से देखने जाते हैं और जब वह सब अपनी आखों के सामने देखते हैं तो अचरज में पड़ जाते है कि आखिर ऐसा कैसे संभव होता है |इस के अलावा जिस के यहाँ संतान नहीं होती बह मनोकामना भी यहाँ पर पूरी होती हैं |