अनित्य,अनात्म और दुःख बौद्ध धर्म के मूलभूत सिद्धांत है – गोविंद सिंह बौद्ध।

बिजनौर – ( नजीबाबाद ) दुर्गा विहार कॉलोनी नजीबाबाद स्थित पुजा हॉस्पिटल के मैनेजर सुभाष चंद्र के निवास पर दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में वर्षावास धम्म प्रवचन मालिका के आयोजन में अनित्य, अनात्म और दुःख विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूजनीय बौद्ध भिक्षु अक्षदीप द्वारा भगवान बुद्ध एवं डॉ भीमराव अंबेडकर जी के प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती प्रचलित कर पुष्प अर्पित कर नमस्कार, त्रिशरण पंचशील के साथ बुद्ध वंदना, धम्म वंदना, संघ वंदना करके किया गया।इस अवसर पर दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रदेश महासचिव बौद्धाचार्य एवं केंद्रीय शिक्षक राकेश भारती ने वर्षावास कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दुःख की सबसे अच्छी व्याख्या भगवान बुद्ध ने चार आर्य सत्यो के द्वारा की है उन्होंने कहा कि जीवन में दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निवारण है, और निवारण का उपाय है।बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बौद्ध ने बर्षावास कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कहा कि बौद्ध धर्म में अनित्य,अनात्म और दुःख तीन मूलभूत सिद्धांत हैं जो जीवन को समझने और उसके अर्थ को खोजने में मदद करते हैं। इन सिद्धांतों को समझने से हम जीवन की अस्थायित्व,आत्मा की अवधारणा और दुःख के कारणों को समझ सकते हैं।इस अवसर पर बौद्ध भिक्षु जीवक ज्योति रत्न, डीएमआर डिग्री कॉलेज भागूवाला के प्रबंधक आर के सागर, डॉ जितेंद्र कुमार, तिलक राम बौद्ध , वीर सिंह बौद्ध, अंजूषा सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त कियाइस अवसर पर मास्टर हर गोविंद सिंह, योगेंद्र सिंह, रामनाथ सिंह, राकेश कुमार, नरेंद्र कुमार पत्रकार, सुखराम सिंह बौद्ध, कुमार पाल बौद्ध, तिलक राज बौद्ध, इंद्रराम बौद्ध, समसपाल एडवोकेट, रूपा बौद्ध, धर्मवीर सिंह, सूरजपाल सिंह, राजेंद्र बौद्ध, रमेश सिंह, मोहन सिंह, अरविंद सूद राजेंद्र एडवोकेट नरेश कुमार एडवोकेट, जितेंद्र कुमार एडवोकेट, रामचंद्र सिंह, नाहर सिंह, ऋषा बौद्ध सहित अनेक उपासक, उपासिकाओं ने भाग लिया।