जैविक उत्पादों का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए बाजार की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
बिजनौर – जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने जिले में जैविक खेती को विकसित करने और इसके प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए डास्प मुख्यालय द्वारा सपोर्ट ऐजेंसी के रूप मंें आवंटित मैसर्स सिम्फेड, सिक्किम द्वारा मानक के अनुरूप कार्य न करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए संस्था के प्रबंधक को निर्देश दिए गए कि आगमी बैठक में योजना के क्रियान्वयन के लिए अपना एक्शन प्लान दिखाएं और जैविक उत्पादों का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए बाजार की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि मात्र सब्सिडी के आधार पर कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती जबतक योजना के अंतर्गत उत्पादों का वाजिब मूल्य प्राप्त न हो।जिलाधिकारी श्री अग्रवाल आज शाम 03ः30 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में उ0प्र0 कृषि विविधिकरण परियोजना (डास्प) के तत्वाधान नमामि गंगे ईओएफसी जैविक खेती योजना, द्वितीय चरण के अनुमोदन, क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए निर्देश दे रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि जैविक खेती के लिए किसानों को प्रेरित करने के लिए गोष्ठी एंव प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करें और उक्त कार्यक्रमों में प्रतिभाग सुनिश्चित करने के लिए गांव-गांव जाकर किसान बन्धुओं को जागरूक करें और जैविक खेती के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानों को जो अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है, वह उनको प्रोत्साहित करने के लिए है ताकि अधिक से अधिक संख्या में किसान जैविक खेती को अंगीकार करें। उन्होंने उक्त योजना को तभी सफलता प्राप्त हो सकती है, जब किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त हो। उन्होंने संबंधित सपोर्ट ऐजेंसी के पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि जैविक उत्पादों का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए बाजार की व्यवस्था करना सुनिश्चित करें।समीक्षा करते हुए संज्ञान में आया कि जिले में तीन हजार से अधिक किसनों को जैविक खेती योजना से जोड़ा जा चुका है, और उनको प्रशिक्षण एवं उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के चार ब्लॉकों के 55 गंगा तटीय ग्रामों में 100 क्लस्टर बनाए गए हैं, प्रत्येक क्लस्टर में 25-30 किसानों को शामिल किया गया है। इस दौरान संस्था के अधिकारी द्वारा बताया गया कि उक्त योजना विगत वर्ष शुरू की गई थी, जिसमंे लगभग 1500 किसनों को लाभान्वित किया गया। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा जैविक खेती के प्रति प्रोत्सहित करने के लिए प्रथम वर्ष प्रति हैक्टेयर 12000, द्वितीय वर्ष 10000 तथा तृतीय वर्ष 9000 रूपये का किसनों को अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। उक्त योजना के अंतर्गत योजना से आच्छादित किसानों को प्रथम वर्ष के लिए प्राप्त अनुदान उपलब्ध कराया जा चुका है।इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी पूर्ण बोरा, परियोजना निदेशक ज्ञानेश्वर तिवारी, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 विजय कुमार गोयल, पंचायत राज, सिचाई, पर्यावरण सहित अन्य संबंधित विभागीय अधिकारी मौजूद थे।