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कवि दिल की ओर से हुआ किरतपुर में जिला स्तरीय खूबसूरत शेरी नशिस्त का आयोजन।

बिजनौर – ( किरतपुर ) नजीबाबाद नगर की साहित्यक संस्था व यूट्रब चैलन कवि दिल की ओर से किरतपुर जामा मस्जिद के करीब मूसा कुरैशी के आवास पर एक जिला स्तरीय शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। जिस में शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की। शनिवार की रात्रि में किरतपुर जामा मस्जिद के करीब मूसा कुरैशी के आवास पर नगर की साहित्यक संस्था व यूट्रब चैलन कवि दिल की ओर से एक खूबसूरत शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। जिस में शायरो ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की। शेरी नशिस्त का आगा़ज़ अब्दुल रहमान बिस्मिल ने नात ए रसूल ए पाक से किया। ग़ज़ल के दौर में उस्ताद शायर काजी़ नासिर किरतपुरी ने उम्दा कलाम पेश करते हुए कहाँ…… वो मुझसे खफा रहता है मालूम नहीं क्यो,मुह उसका बना रहता है मालूम नहीं क्यूँ।उस्ताद शायर शनावर किरतपुरी ने एक के बाद एक उम्दा ग़जले पेश करते हुए कहा…. राह में संग हो कांटे हो के अंगारे हों,जिन को आना है वो हर हाल में आ जाते हैं। नजीबाबाद से आये मशहूर शायर व सहाफी शादाब ज़फ़र शादाब को लोगो ने खूब दाद ओ तहसीन से नवाजा़ उन्होने कलाम पेश करते हुए कहा….तू झूठा है चलो एक पल को सच्चा मान लेते हैं, मगर नीयत बदलने मैं ज़रा सी देर लगती हैं। साहित्यक संस्था व यूट्रब चैलन कवि दिल के बानी आसिफ मिर्ज़ा ने उम्दा ग़जले पेश की उन्हें सामईन ने बार बार सुना उन्होने ने बेहद खूबसूरत गज़ल पेश करते हुए कहा…. इतनी शिद्दत से जुस्तजू होगी, एक दिन तू भी रूबरू होगीं। हिन्दुस्तान भर में के मुशायरो मे जिले की नुमाईदगी करने वाले मशहूर नौजवान शायर उबैद नजीबाबादी ने कलाम पेश करते हुए कहाँ….. ना-मुमकिन को भी मुमकिन कर देता है,चलते- फिरते शख्स को जिन्न कर देता है। अफजलगढ से आये मेहमान शायर अशरफ अफजलगढी ने अपने उम्दा तरन्नुम और कलाम से सामईन से खूब दाद हासिल की। उन्होने गज़ल पेश करते हुए कहा…. आते आते वो फिर लौट जाने लगे,लो मनाने में जिनको ज़माने लगे। शेरी नशिस्त की खूबसूरत निजामत कर रहे किरतपुर के नौजवान शायर आसिफ अंदाज़ ने कहा…. दुनिया के दस्तूर निभाने पडते है, कुछ धोखे दानिश्ता खाने पडते है। किरतपुर के नौजवान शायर मुरसलीन मुरसल ने ग़ज़ल पेश करते हुए कहा…..ना हरगिज जीत पायेंगे ये नफरत की जुबां वाले, अभी ज़िन्दा है दुनिया में बहुत उर्दू जुबां वाले। बेहतरीन तरन्नुम के मालिक अब्दुल रहमान बिस्मिल किरतपुरी ने उम्दा ग़ज़ल पेश करते हुए कहा…. आज मिलने की तुम से हमारी है, सुबह भी तुम्हारी है शाम भी तुम्हारी है। मंडावर से आये शायर अकीमुद्दीन अकीम मण्डावरी ने कहा…. मेरी आंखो के आंसू तुम संभाल कर रखना,ये मेरी मुहब्बत की आखरी निशानी है। शेरी नशिस्त में उस्ताद शायर शनावर किरतपुरी, शादाब ज़फ़र शादाब, काजी़ नासिर किरतपुरी, आसिफ अंदाज़, अकीमुद्दीन अकीम मंडावरी, अशरफ अफजलगढी, आसिफ मिर्ज़ा, उबैद नजीबाबादी, बीना मंडावरी, मुरसलीन मुरसल, मालिक अब्दुल रहमान बिस्मिल वगैरा ने उम्दा कलाम पेश कर खूब दाद हासिल की। शेरी नशिस्त बेहद कामयाब रही। शेरी नशिस्त में काफी तादाद में सामईन मौजूद रहे। शेरी नशिस्त की सदारत उस्ताद शायर काजी़ नासिर किरतपुरी ने की व निजामत आसिफ अंदाज़ किरतपुरी ने की।

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