बासमती राइस बायर्स-सेलर्स मीट पर आधारित बैठक आयोजित हुई।
– जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में आज दोपहर 1ः00 बजे कलेक्ट्रेट स्थित महात्मा विदुर सभागार में बासमती राइस बायर्स-सेलर्स मीट पर आधारित बैठक आयोजित हुई। उन्होंने कहा कि बैठक का उद्देश्य है कि जनपद में उत्पादित बासमती धान का किसानों को अच्छा मूल्य मिलें, इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से बायर्स-सेलर्स के बीच बैठक कराई गई है इस संदर्भ में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए बेहतर तालमेल बनायें।
जिलाधिकारी श्री मिश्रा ने कहा कि अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर बासमती चावल दुनियाभर में खास पसंद किया जाता है। इस विशेषता को देखते हुए बासमती चावल के निर्यात होने से धान उत्पादकों को फसल का लाभकारी मूल्य भी प्राप्त हो सकेगा साथ ही सरकार की मंशा है कि उपज का बड़ा फायदा कृषकों को मिले। उन्होंने बायर्स-सेलर्स के साथ गहनता से चर्चा में कहा कि किस प्रकार के धान की पैदावार यहां होनी चाहिये,सस्ती पौध कहां से मिलेगी या खुद ही पौध तैयार करें, कहां से उत्तम गुणवत्ता का बीज मिलेगा इसका मंथन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मार्किट में कौन-कौन से धान के बीज की वैरायटी पूर्व में उत्तम रही है इस तरह की वैरायटी तैयार की जाय जो गल्फ कन्ट्री, खाडी देशों, यूरोप,अमेरिका की जरूरतों के हिसाब से वैरायटी तैयार की जाय और उन्होंने कहा कि हमारा धान जब तैयार हो जाता है तब उससे साफ चावल कैसे निकले उसके लिये किस मशीन को लगाएं जिससे बेहतर साफ सुथरा चावल निकल सके इस पर उन्होंने कहा कि अब हम मशीन यहां लगाएंगे बाहर नहीं जायेंगे साथ ही इसका स्टोरेज कैसे करें इसमें क्या-क्या तकनीकी की जरूरतें होंगी यह भी देखा जाय अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमें कैसे बेहतर मूल्य मिले जिससे विशेषकर किसानों को फायदा हो, खेती में पानी की व्यवस्था कैसे की जाय ये सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को देखे जाने की जरूरत है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि धान प्रसंस्करण मशीन लगाने व सोलर पम्प आदि पर सब्सिडी पर आधारित ऋण किसानों को उपल्ब्ध करायें। उन्होंने कृषि अधिकारियों को निर्देश दिये कि न्याय पंचायत, ब्लाक स्तर पर किसानों को बुलाकर विशेषज्ञों व कृषि वैज्ञानिकों द्वारा मोटीवेट करते हुए इसी से संबंधित बैठकें आयोजित की जाय। उन्होंने स्पष्ट रूप से उपस्थित से कहा कि हमारा सबसे बडा जोर यह होना चाहिये लागत कम लगे उत्पादन ज्यादा से ज्यादा हो इस पर लगकर काम करने की जरूरत है।
उन्होंने धान की रोपाई का लक्ष्य से अधिक करने का आवाहन किया। साथ ही कृषि विभाग को निदेशित करते हुए कहा कि धान का क्षेत्रफल बढ़ाने पर जोर दिया जाय। जिससे अधिक पैदावार पर निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने उपस्थित सभी से कहा कि जिस प्रकार पूर्व में जिले में उत्पादित गुड़, सरसों का तेल आदि का निर्यात हुआ उसी प्रकार आगे भी अहम भूमिका निभाते हुए किसानों व निर्यातकों के बीच और बेहतर तरिके से तालमेल बनवाया जाय। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती करने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जाय।उन्होंने बिजनौर को जैविक खेती एवं खेती को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए स्थानीय किसानों का आह्वान किया कि जैविक खेती के विकास और खेती के व्यवसायीकरण के लिए आगे आएं, जिला प्रशासन उनकी हर संभव सहायता करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कृषकों व कृषि उद्यमियों से धान प्रसंस्करण इकाई लगाने को कहा साथ ही उन्हें सहयोग उपलब्ध कराने की बात कही और बासमती पैदावार किसानों का आह्वान किया कि बिजनौर की बासमती, सब्जी, जैविक एवं हर्बल उत्पादों का कृषकों को वाजिब और उच्च मूल्य उपलब्ध कराने के लिए बायर्स-सेलर्स अन्य व्यवसायियों की मीट के माध्यम से आमने-सामने बैठक कराने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि स्थानीय किसान उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करें और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करें। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि जिला बिजनौर को कॉमर्शियल एवं जैविक खेती के हब के रूप में विकसित करने में अपना योगदान दें और स्थानीय जागरूक किसानों को उचित मार्गदर्शन के साथ-साथ उनके उत्पादों की मार्केटिंग की भी व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि जिले का वातावरण इसके लिए अनुकूल है तथा यहां के कृषक भी प्रगतिशील और उत्सुक हैं कि उनके उत्पादों को अच्छा बाजार मिले ताकि उन्हें अपने उत्पादों के अच्छे दाम हासिल हो सकें। उन्होंने कहा कि जिला बिजनौर को कृषि क्षेत्र के औद्योगिकरण एवं जैविक उत्पादों के हब के रूप में विकसित किए जाने की अपार संभावनाएं हैं, क्योंकि स्थानीय कृषक न केवल प्रगतिशील हैं बल्कि बिना सरकारी सहयोग एवं सहायता के स्वयं कृषि विकास के क्षेत्र में नये-नये प्रयोग कर अपनी विविधता को चरित्रार्थ कर रहे हैं। उन्होंने कृषि को उद्योग के रूप में विकसित करने तथा उसका विविधिकरण करने का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि कृषि से भारी आमदनी प्राप्त होगी और लोगों का गांव से पलायन भी रूकेगा। उन्होंने कहा कि बिजनौर के बासमती चावल, गुड़, सरसों का तेल, सिरका और जैविक उत्पादों का स्वयं निर्यात किया जाना इस बात का प्रमाण है कि स्थानीय कृषकों को यदि उचित मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाए और उनके उत्पादों को क्रय के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाए तो बहुत से कृषि उत्पाद स्थानीय एवं विदेशों में विक्रय किए जा सकते हैं।इस अवसर पर उप निदेशक कृषि गिरीश चन्द,उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी मनोज रावत सहित संबंधित अधिकारी, कृषक उत्पादक संगठन, कृषक एवं बायर्स-सेलर्स आदि उपस्थित थे।