उत्तराखंड

हरिद्वार भूमि घोटाला : राज्य में सिस्टम के भ्रष्टाचार का एक प्रतिबिंम

देहरादून। उत्तराखंड की आध्यात्मिक राजधानी हरिद्वार में हुए भूमि खरीद घोटाले की जांच पूरी हो जाने के बाद जांच अधिकारी द्वारा जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दिए जाने के बाद भी अभी तक दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही न होना अपने आप में प्रदेश में सिस्टम में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार को संरक्षण का एक नायाब उदाहरण है और सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही अब तक ना होना यह बता रहा है कि कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों को ताकतवर लोगों का संरक्षण मिला हुआ है यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन व प्रशासन सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कही।

श्री धस्माना ने कहा कि जमीन घोटाले की जांच में यह पाया गया कि भूमि का भू उपयोग कृषि था जिसका सर्किल रेट छह हजार रुपए था और अगर उस भूमि को कृषि उपयोग में ही खरीदा जाता तो उसकी कीमत मात्र १५ करोड़ रुपए आती किंतु इसकी खरीद से पूर्व इसका भू उपयोग बदल दिया गया और उसके तत्काल बाद नगर निगम हरिद्वार द्वारा उसकी खरीद का अनुबंध कर उसको ५४ करोड़ में खरीदा गया।

श्री धस्माना ने कहा कि भू उपयोग परिवर्तित करने नगर निगम हरिद्वार द्वारा उसका अनुबंध करने व फिर उसको खरीदने में जो तेजी दिखाई गई वो गजब की है अक्टूबर २०२४ और नवंबर २०२४ के बीच यह सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं और पूरी प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई यह खुलासा जांच में हो चुका है और इस पूरे प्रकरण में कौन कौन अधिकारी शामिल हैं इसका खुलासा भी जांच रिपोर्ट में होने के बावजूद अभी कार्यवाही नहीं हुई जिसको लेकर कांग्रेस पार्टी सरकार से पूछना चाहती है कि कार्यवाही कब होगी और अगर कार्यवाही में विलंब हुआ तो कांग्रेस सड़कों पर उतर कर आंदोलन करेगी।

 

 

 

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