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आज रात से होगा लागू CAA : पीएम मोदी / अमित शाह

• केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का सीएए पर बड़ा एलान
• शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को देश में लागू कर दिया जाएगा।
• CAA लागू होने के बाद दिल्ली में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
• 2020 में दंगे के दौरान गई थी 53 लोगो की जान

नई दिल्ली/ लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी के एक और मास्टर स्ट्रोक ने विपक्षी पार्टियों को चौकाकर रख दिया है । लोकसभा चुनाव को करीब आते देख भाजपा ने अपनी कमर कस ली है। राम मंदिर के बाद अब भाजपा नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दरअसल, आज ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को लेकर बड़ा एलान किया है। CAA को शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले लागू करने की कही बात।

वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव का ध्रुवीकरण करना इसका मुख्य एजेंडा है।राकेश सिन्हा ने कहा कि इलेक्ट्रोल बांड पर सुप्रीम कोर्ट की जबरदस्त फटकार लगी है, महंगाई बेरोजगारी, मणिपुर की घटना को लेकर जो सवाल जनता उठा रही है। उसको डाइवर्ट करने के लिए CAA लाया गया है, ताकि उन तमाम मुद्दों को गेन कर सके और चुनाव के मौके पर इसे लाकर वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके। लेकिन 2024 बीजेपी के ताबूत की आखिरी कील साबित होने जा रही है।

• आखिर ये सीएए क्या है और मुसलमान इसका इतना विरोध क्यों कर रहे हैं, आइए जानते हैं . . .
क्या है CAA ?

सीएए का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। लंबे समय से भारत में शरण लेने वालों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।

कैसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन ?

सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे। आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी।

मुसलमान CAA का विरोध क्यों कर रहे हैै ?

सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। कई आलोचका का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है। उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकते हैं।

पूर्वी उत्तर भारत में सीएए को लेकर विरोध क्यों ?

पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों का मानना है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जिससे उनकी जनसंख्या भी बदल सकती है और संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।

CAA पर क्या कहती है सरकार ?

सरकार का यह मानना है कि सीएए केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना अधिक है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। सरकार का कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।

क्या CAA संवैधानिक है ?

भारतीय संसद में CAA को वर्ष 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।

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