
देहरादून : डब्लूआईसी इंडिया देहरादून ने ‘दास्तानगोई – अनोखी कहानियों का संग्रह’ का आज भव्य आयोजन किया। यह शाम थिएटर प्रेमियों और साहित्य के रसिकों के लिए एक अद्भुत अनुभव रही, जिसमें कहानी, संस्कृति और यादों का रंगारंग संगम देखने को मिला।
यह आयोजन सभी के लिए खुला था और डब्लूआईसी इंडिया के सामुदायिक कार्यक्रमों का हिस्सा था, जिसे विंग्स कल्चरल सोसायटी के सहयोग से आयोजित किया गया। विंग्स सोसायटी पिछले 16 वर्षों से कला और रंगमंच को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रही है।
इस वर्ष की दास्तानगोई में दो मनमोहक कहानियाँ प्रस्तुत की गईं — ‘बे’ और ‘मरहूम की याद में’। दोनों का मंचन प्रसिद्ध दास्तानगोई कलाकार तारिक़ हामीद ने किया। उनकी प्रभावशाली शैली और रंगमंचीय अदाओं ने दर्शकों को बुद्धि, हास्य और आत्मचिंतन से भरी दुनिया में पहुंचा दिया।
शाम की शुरुआत हुई ‘बे’ से, जो शौकत तनवी की कहानी है। इसमें एक पात्र की कथा है, जिसे ज्योतिषी ने ‘ब’ अक्षर से सावधान रहने की चेतावनी दी होती है। तीखे हास्य और अप्रत्याशित मोड़ से भरपूर इस कहानी ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
दूसरी प्रस्तुति ‘मरहूम की याद में’ थी, जो प्रसिद्ध लेखक पत्रस बुख़ारी द्वारा लिखी गई है। व्यंग्य और कॉमेडी से भरपूर यह कहानी एक साइकिल की मज़ेदार दास्तान सुनाती है। इसे बुख़ारी की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिना जाता है और इसने दर्शकों को हंसी और पुरानी यादों से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम के बारे में डब्लूआईसी इंडिया के निदेशक अंकित अग्रवाल और सचिन उपाध्याय ने कहा, “दास्तानगोई के माध्यम से हमारा उद्देश्य कहानी कहने की इस कालातीत कला को पुनर्जीवित करना और हमारी साहित्यिक धरोहर का उत्सव मनाना है। हर संस्करण हमें यह याद दिलाता है कि कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी हमें जोड़ती हैं और कल्पना तथा साझा अनुभव की भावना को जीवित रखती हैं।”