उत्तराखंडदेहरादून

हिमालय के महत्व को हमें नई तरह से समझने की जरूरतः सीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हिमालय के महत्व को हमें नई तरह से समझने की जरूरत है। जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में सरकार द्वारा निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। इसके लिए स्प्रिंग एण्ड रिवर रिज्यूवनेशन अथॉरिटी का गठन किया गया है। हिमालय के संरक्षण के लिए अनेक कार्य किये जा सकते हैं। हिमालय हमारी अमूल्य धरोहर है, जिसे बचाने की आवश्यकता है। उत्तराखंड पहला राज्य है जहाँ जी.ई.पी की शुरूआत की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इकोलॉजी व इकॉनमी में संतुलन बनाकर विकास के कार्य किये जा रहे हैं। सरकार पौधरोपण, जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रही है, लेकिन इन सब में जनसहभागिता की जरूरत है, तभी हम इन प्रयासों में सफल हो पाएंगे।
हेस्को के संस्थापक और पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरी गंभीरता से हिमालय एवं इसके संरक्षण के लिए कई नई पहल की हैं। नीति आयोग की बैठक में भी मुख्यमंत्री ने संपूर्ण हिमालय की समस्या को गंभीरता से उठाया। हिमालय से जुड़े मुद्दों को राजनीतिक क्षेत्र में भी ले जाना होगा। देश के कई बड़े संस्थान हिमालय के संरक्षण एवं इस क्षेत्र में अध्ययन का कार्य कर रहे हैं। इन सभी संस्थाओं को एक मंच पर लाकर हिमालय विकास पत्र पर कार्य होना चाहिए। हिमालय की भूमिका संपूर्ण देश के लिए महत्त्वपूर्ण है। हिमालय के संरक्षण के लिए विकास वैज्ञानिकों के अनुसंधान के अनुरूप होना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने हिमालय दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हिमालय के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहे लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा राज्य में हर साल दो सितम्बर को बुग्याल संरक्षण दिवस मनाया जायेगा। जलवायु परिवर्तन तेजी से एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। देहरादून में इस साल तापमान में काफी अधिक बढ़ोत्तरी देखी गई। ऐसे में अगर तापमान, इसी तरह से बढ़ता रहा तो आने वाले समय में चिंताएं और अधिक बढ़ जाएंगी। ऐसे में हिमालय, जल और जंगल के संरक्षण के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। सीएम धामी ने कहा हिमालय के महत्व को नए तरीके से समझने की जरूरत है। राज्य सरकार जल स्रोतों और नदियों के पुनर्जीवीकरण को लेकर लगातार काम कर रही है। इसके लिए स्प्रिंग एण्ड रिवर रिज्यूवनेशन अथॉरिटी का गठन किया गया है। हिमालय के संरक्षण के लिए तमाम कार्य किये जा सकते हैं। हिमालय हमारी एक अमूल्य धरोहर है। जिसको बचाने की जरूरत है।

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