उत्तराखंड हाईकोर्ट : गंगा नदी में खनन के खिलाफ सुनवाई

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में खनन के खिलाफ मातृ सदन की जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने एनएमसीजी को एक सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी की तिथि नियत की है। आज सुनवाई के दौरान एनएमसीजी की तरफ से जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से एक सप्ताह का और समय मांगा। कोर्ट ने एनएमसीजी को एक सप्ताह का समय देते हुए अगली सुनवाई हेतु 12 जनवरी की तिथि नियत की। मामले के अनुसार हरिद्वार मातृ सदन ने जनहीत याचिका दायर कर कहा है कि हरिद्वार में रायवाला से भोगपुर के बीच गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से खनन किया जा रहा है जिससे गंगा नदी के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। गंगा नदी में खनन करने वाले नेशनल मिशन क्लीन गंगा को पलीता लगा रहे है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि गंगा नदी में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगाई जाए ताकि गंगा नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके। अब खनन कुम्भ क्षेत्रा में भी किया जा रहा है। याचिकर्ता का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार ने गंगा नदी को बचाने के लिए एनएमसीजी बोर्ड गठित किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा को साफ करना व उसके अस्तित्व को बचाए रखना है। एनएमसीजी की ओर से राज्य सरकार को बार बार आदेश दिए गए कि यहां खनन कार्य नही किया जाय। उसके बाद में सरकार ने यहां खनन कार्य करवाया जा रहा है। यूएन ने भी भारत सरकार को निर्देश दिए थे कि गंगा को बचाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा रहे। उसके बाद भी सरकार की ओर से गंगा के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा है।
प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को लेकर थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई
नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को लेकर अभिनव थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का अंतिम अवसर देते हुए अगली सुनवाई 14 जून की तिथि नियत की है। कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया है कि जनहित याचिका में उठाये गए स्वाथ्य सुविधाओ की कमियों को अगले आदेश से पहले पूरा करें। मामले के अनुसार देहरादून निवासी अभिनव थापर ने जनहीत याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। जैसे हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले संस्थान व क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट -सीईए से संबंधित है। इन नियमों में शिथिलता से उत्तराखंड में हॉस्पिटल बेड की वर्तमान संख्या को घटने से रोकना व उनकी संख्या बढ़ाने का भी प्रावधान किया जाय और शासनादेश जारी कर पहाड़ और मैदान के नर्सिंग होम्स व हस्पतालों के नियमों पर दोहरे मापदंड को खत्म किया जाए।