देहरादून। तीन दिवसीय स्पिक मैके स्टेट कन्वेंशन का यूनिसन वर्ल्ड स्कूल में समापन हुआ, जिसमें उपस्थित दर्शक कलात्मक प्रदर्शन और समृद्ध कार्यशालाओं से मंत्रमुग्ध हो गए। कन्वेंशन के अंतिम दिन कैबिनेट मंत्री, पर्यटन, सिंचाई और संस्कृति, उत्तराखंड सरकार सतपाल महाराज की उपस्थिति देखी गई। सतपाल महाराज ने अपनी ओजस्वी वाणी में सभी विद्यार्थियों और कला साधकों को बधाई प्रेषित करते हुए कहा, स्पिक मेके के इस प्रकार के आयोजन हमारी संस्कृति की अमूल्य विरासत में अभिवृद्धि करने का स्तुत्य प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अभिमन्यु के चर्क्व्यूह भेदन के उदाहरण से ध्यान एवं श्रवण कौशल की उपयोगिता भी बताई। कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियों सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए के आह्वान के साथ उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन किये।
अंतिम दिन की शुरुआत मनमोहक हस्त योग कार्यशाला के साथ हुई। इसके बाद प्रतिभाशाली विशाल मिश्रा के सितार वादन और उसके बाद डॉ. पार्थाे रॉय चौधरी के मनमोहक संतूर वादन से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। वहीँ पं. राकेश चौरसिया द्वारा मधुर बांसुरी वादन ने संगीत प्रेमियों को आश्चर्यचकित कर दिया। कार्यक्रम में गुरु वी जयाराम राव और उनके समूह द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति भी देखने को मिली। अंतिम दिन विभिन्न गुरुओं के नेतृत्व में गहन कार्यशालाओं के साथ संपन्न हुआ, जिसमें छात्रों ने गहन प्रदर्शन किया और अपने नए कौशल की प्रस्तुति दी। हार्दिक भाव से, सम्मेलन की सफलता में उनके अमूल्य योगदान को स्वीकार करते हुए, सभी गुरुओं को सम्मानित किया गया।
यूनिसन वर्ल्ड स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. मोना खन्ना ने तीन दिवसीय सम्मेलन की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी कलाकारों को हार्दिक धन्यवाद दिया जिन्होंने इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बनने के लिए अपना कीमती समय समर्पित किया। डॉ. मोना ने पहली बार देहरादून में पंडित उल्हास कशालकर के ऐतिहासिक प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कन्वेंशन के बारे में बताया। कार्यक्रम के मुख्य अंशों को दोहराते हुए, डॉ. मोना ने कहा, हमने कला और संस्कृति के तीन अविश्वसनीय दिन देखे हैं। पहले दिन, डॉ. अन्वेसा मोहंता द्वारा असम के सुंदर सत्त्रिया नृत्य, संजोर त्सोपका द्वारा तिब्बती संगीत, डॉ. माधुरी बड़थ्वाल द्वारा गढ़वाली लोक, और डॉ. एन राजम और डॉ. संगीता शंकर द्वारा एक भावपूर्ण हिंदुस्तानी वायलिन प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।”
उन्होंने आगे कहा दूसरा दिन भी उतना ही रोमांचक रहा। हमें प्रसिद्ध डॉ. वंदना शिवा की उपस्थित से बेहद सम्मानित महसूस हुआ, जिन्होंने नवदान्य जैव विविधता पार्क के बारे में उत्साहपूर्वक बातें साझा करीं, बीजों को हमारे धर्म के रूप में बचाने, और प्रकृति के साथ सद्भाव को बढ़ावा देने और पारिस्थितिक मुद्दों को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया।” दूसरे दिन भी मनमोहक प्रस्तुतियाँ जारी रहीं, जिनमें कथक उस्ताद विशाल कृष्ण द्वारा जटिल फुटवर्क और सटीक लयबद्ध गति, नक्षत्र गुरुकुल द्वारा पारंपरिक नृत्य गोटीपुआ, संदीप नारायण द्वारा एक भावपूर्ण कर्नाटक गायन, और पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार द्वारा एक सुंदर सरोद प्रदर्शन शामिल रहे। इस अवसर के दौरान, डॉ. मोना ने अपना बहुमूल्य समय देने के लिए रमेश पोखरियाल, सतपाल महाराज और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने समर्थन और सहयोग के लिए स्पिक मैके की भी सराहना की। सम्मेलन में पूरे उत्तराखंड के विभिन्न स्कूलों और विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भाग लिया।