उत्तराखंडदेहरादून

साहित्य और कला महोत्सव के दूसरे दिन रहा ज्ञान, विमर्श और सृजन का संगम

देहरादून । द लिटरेरी टेबल द्वारा आयोजित “लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल” के दूसरे दिन की शुरुआत गणेश वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुई। दिन भर चले सत्रों में साहित्य, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण और आधुनिक तकनीक पर गहन चर्चाएं हुईं। पहले सत्र “बियॉन्ड द हाइप: प्रैक्टिकल एआई फॉर टुडे एंड टुमॉरो” में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के व्यावहारिक पहलुओं पर पैनल चर्चा हुई, जिसमें डॉ. प्रेम कश्यप, डॉ. संजीव बथला, मोना वर्मा और जुही खन्ना ने अपने विचार रखे। दूसरा सत्र “अ टेल ऑफ टू फ्लेवर्स: द बिटरसवीट बैलेंस इन लव फॉर एप्रिकॉट्स” लेखिका मधुलिका लिडल पर केंद्रित रहा, जिसकी मॉडरेटर रूपा सोनी थीं। इसके बाद “फ्रॉम इंडिया टू भारत: रिक्लेमिंग सिविलाइजेशनल आइडेंटिटी” सत्र में दीपक वोहरा ने भारतीय सभ्यता की पहचान पर सारगर्भित वक्तव्य दिया।
डॉ. अलोका दासगुप्ता नियोगी के सत्र “ब्रेकिंग द हश: अनअर्थिंग द लेगेसीज़ ऑफ इनहेरिटेड साइलेंस” ने समाज में दबी आवाज़ों को उजागर करने पर चिंतन किया। दोपहर बाद “द गॉडेस इन एवरी फॉर्म: ए लिटरेरी डीप डाइव” में अल्का पांडे और मोना वर्मा ने नारी के विविध स्वरूपों पर संवाद किया। संध्या के सत्रों में “बियॉन्ड द वॉल: डिकोडिंग ट्रम्पटोपिया” में रोबिंदर सचदेव ने वैश्विक राजनीति पर प्रकाश डाला। वहीं “द अनटोल्ड स्टोरी: ए डीप डाइव इंटू ऑपरेशन सिंदूर” में मेजर जनरल जी.डी. बक्शी ने देशभक्ति और सैन्य जीवन की प्रेरक झलक प्रस्तुत की। सत्र “ए कवर रिवील” के दौरान लेखक मनन लाल की नई पुस्तक का अनावरण किया गया। इसके पश्चात “टेमिंग द शैडो: कॉन्फ्रंटिंग द डार्कनेस ऑफ द बीस्ट विदिन” में राधारानी सेनगुप्ता और जुही खन्ना ने मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर रोचक बातचीत की। दिन का समापन अभिनेत्री मूनम सेन के सत्र “द परफॉर्मर’स जर्नी: नेविगेटिंग फेम एंड क्राफ्ट” से हुआ, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय सफर, अनुभव और कला के प्रति समर्पण पर संवाद किया।

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