उत्तराखंड

वैशाखी पर्व पर शुक्रवार को द्वितीय केदार मद्महेश्वर एवं तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खुलने की तिथियां घोषित की गई

रुद्रप्रयाग: वैशाखी पर्व पर शुक्रवार को द्वितीय केदार मद्महेश्वर एवं तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खुलने की तिथियां घोषित की गई। तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 26 मई को विधि विधान से खोले जाएंगे। वहीं पंच केदार के गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में वैशाखी पर्व पर भगवान मद्मेश्वर के कपाट 22 मई को आगामी छह माह के लिए भक्तों के दर्शन खोले जाएंगे।

प्रतिवर्ष केदारनाथ के साथ ही द्वितीय व तृतीय केदार के कपाट खुलने व बंद होने के लिए शुभ दिन पर निश्चित होती हैं। सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार वैशाखी पर्व संक्रांति के दिन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार मद्महेश्वर एवं मार्कण्डेय मन्दिर मक्कूमठ में तृतीय केदार तुंगनाथ मन्दिर के कपाट खुलने की तिथि तय की जाती है।

मंदिर समिति के अधिकारी, पुजारीगणों, हकहकूकधारियों और भक्तों की मौजूदगी में पंचांग गणना के आधार पर ओंकारेश्वर मंदिर व मार्कण्डेय मन्दिर में प्रातः आठ बजे से कपाट खोलने का दिन तय करने की प्रक्रिया शुरू की गई।

इसके साथ ही ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान मद्मेश्वर की भोगमूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाकर फूल मालाओं से सुसज्जित पुष्परथ में विराजमान किया गया। जिसके बाद मंदिर की परिक्रमा के पश्चात भगवान को पुनः गर्भगृह में विराजमान किया गया। इस दौरान भगवान के दर्शनों को दूर दराज क्षेत्रों से भक्त सुख एवं समृद्धि की कामना भी करते हैं।

वहीं बैसाखी पर्व पर गौरीकुंड में स्थित गौरीमाई मंदिर के कपाट भी पूजा अर्चना के खोल दिए गए। शुक्रवार को सुबह करीब सात बजे गौरामाई की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल गौरी गांव से रवाना हुई। जिसके बाद डोली के गौरीकुंड पहुंचने पर ब्राह्मणों व मंदिर के मुख्य पुजारी वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान के साथ मंदिर में पूजा अर्चना की।

लगभग आठ बजे मां गौरामाई मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। ग्रीष्मकाल के छह माह तक यहीं पर मां गौरा की पूजा-अर्चना की जाएगी। कपाट खुलने की तिथि को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई थीं।

मंदिर समिति के कार्याधिकारी रमेश चन्द्र तिवारी ने बताया कि मद्मेश्वर व तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि 14 अप्रैल को तय की गई। वहीं गौरीकुंड में गौरा माई के कपाट ग्रीष्मकाल के खोल दिए गए। उक्त दोनों कार्यक्रमों को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button