
मोहिनी रोड का पुल लगभग दो दशकों पूर्व, हर वर्ष लेता था किसी की जान
एक समय में खूनी पुल के नाम से हुआ था प्रसिद्द
मोहिनी रोड के पुल से पिछले पुल पर आज बहकर आई लाश।
देहरादून/ ब्रिटिश सरकार के शासन काल में देहरादून के मोहिनी रोड लास्ट में बना पुल इंग्लैंड द्वारा बनाया गया था। यह पुल रफेल होम नामक बहुचर्चित स्थान को जोड़ता है और यहां टीबी का एकमात्र बहुचर्चित अस्पताल भी है।
उस समय ब्रिटिशों का आवागमन रफेल तक जाने के लिए ज्यादा होता था। बेशक यह पुल बहुत ही मजबूती के साथ बनाया गया था जो आज तक टिका हुआ है।
परंतु आज की स्थिति में पुल की ऊंचाई कम होने की वजह और नदी में बहकर आए पत्थर और बजरी सालों से जू के तू जमे जा रही हैं जिसका सालों से रोक लगने की वजह से खनन नहीं हुआ और नदी की गहराई कम होती चली गई।
अब जब भी इस नदी में पानी आता है तो पुल के ऊपर से पानी बहकर सीधा सड़कों तक पहुंच जाता है और साथ में अब तक कई घरों में भी पानी भर चुका है। हाल ही में बीते कुछ दिनों में मोहिनी रोड पुल के पास शिव दुर्गा मंदिर में भी पूरी तरह से पानी भर चुका था जो कि मंदिर की एक तरफ से दीवार तोड़कर निकाला गया था।
सहस्त्रधारा में बादल फटने का असर यहां तक दिखाई दिया कि मंगलवार को सुबह अचानक से पौने छे: बजे करीब पुल के आस पास बने घरों में लगभग 4 इंच तक पानी भर गया तथा रोड़ों ने नदी का रूप ले लिया।
वही दूसरी तरफ पुल के बगल में एक ओर कार और एक ई रिक्शा जमीन के साथ नदी में जमींदोज हो गए तो दूसरी तरफ एक पान की दुकान पूरी पलटकर नदी में गिर गई।
क्षेत्रीय वासियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि यदि मोहिनी रोड लास्ट में ब्रिटिश काल में बनाया गया यह पुल थोड़ा ऊंचा हो जाए या नीचे से पानी निकासी का रास्ता थोड़ा बढ़ा दिया जाए तो ऐसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा अन्यथा हर वर्ष की भांति पानी भरने की समस्या बढ़ती जा रही है।