रुद्रप्रयाग। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा की ओर से स्थानीय परंपरा, सभ्यता, संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा, तीज त्योहारों के इतिहास के साथ विकास यात्रा के दस्तावेज़ीकरण को लेकर आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला संपंन हो गई है। समापन अवसर पर लेखक मंडल को संबोधित करते हुए डायट रतूड़ा के प्राचार्य सीपी रतूड़ी ने कहा कि जनपद के बच्चों को अपनी सभ्यता, संस्कृति, रीति रिवाजों व परम्पराओं से परिचित कराने के साथ-साथ उनका इतिहास पढ़ने-समझने के लिए पुस्तक निर्माण का यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण एवं जिम्मेदारी का कार्य है।
उन्होंने पुस्तक के लेखक मण्डल से कहा कि वे सही एवं सर्वमान्य तथ्य ही पुस्तक में सम्मिलित करें। कार्यशाला की संयोजक डायट प्रवक्ता भुवनेश्वरी चंदानी ने बताया कि पांच दिनी इस कार्यशाला के प्रथम चरण में जिले भर से 12 शिक्षकों को बुलाया गया था। इन शिक्षकों ने जिले के इतिहास से संबंधित विभिन्न शीर्षकों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। चंदानी ने बताया कि प्रथम चरण में जनपद के इतिहास से संबंधित अतीत के प्रमुख व्यक्तित्वों, लेखकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, कारगिल शहीदों, उत्तराखंड आन्दोलन शहीदों के साथ रुद्रप्रयाग के अतीत से वर्तमान तक के इतिहास को संजोने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने जनपद वासियों से निवेदन किया कि इस सन्दर्भ में यदि किसी के पास कोई जानकारी, दस्तावेज, शिलालेख, तामपत्र, पाण्डुलिपि, मुद्राएं (सिक्के) या कोई अन्य सामग्री हो तो कृपया डायट रतूड़ा के संज्ञान में अवश्य लाएं, ताकि प्राप्त जानकारी को पुस्तक में संकलित किया जा सके। लेखक मंडल में सुधीर बर्त्वाल, वीरपाल परस्वाण, अश्वनी गौड़, अमृता नौटियाल, श्रीचंद भिलंगवाल, हेमंत चौकियाल, विमला राणा, प्रमोद जगवाण, गजेन्द्र रौतेला, प्रकाश बड़वाल, ईश्वर शैलानी, आर एस रावत आदि सम्मिलित थे।