अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर उठे सवाल
उत्तराखंड: अंकिता भंडारी हत्याकांड का अहम गवाह खुशराज हत्या के अगले ही दिन रेगुलर पुलिस के थाना लक्ष्मणझूला पहुंच गया था। उसके साथ आरोपी सौरभ भास्कर और रिजॉर्ट के तीन कर्मचारी भी मौजूद थे। इन्हें यहां चार दिनों तक रखा गया था। कोर्ट में जिरह के दौरान गवाह खुशराज ने यह बात बचाव पक्ष को बताई है। इससे पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं।
रेगुलर पुलिस ने मामले की जांच चार दिन बाद संभाली थी। ऐसे में सवाल यह है कि गवाह और आरोपी थाने में क्या कर रहे थे? जब जांच पटवारी पुलिस कर रही थी तो आरोपी और गवाह रेगुलर पुलिस ने अपने पास क्यों बुलाए? पुलिस ने विस्तृत जांच कर इस मामले में कुल 97 गवाह बनाकर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। इनमें से एक था वनंत्रा रिजॉर्ट का हाउस कीपिंग स्टाफ खुशराज। 17 वर्षीय खुशराज ही वह गवाह था जिसने फोन पर अंकिता को चिल्लाते हुए सुना था।
उसने यह बात मजिस्ट्रेट के सामने भी अपने बयानों में कही थी। अब कोर्ट में ट्रायल के दौरान गवाही हुई तो खुशराज की बातों से तमाम सवाल उठने लगे हैं। उसने अपने बयानों में कहा था कि 18 सितंबर की शाम वह सामान लेकर एक मेहमान के रूम में जा रहा था। रास्ते में उसने अंकिता के रूम को देखा तो वहां पुलकित आर्य भी था। अंकिता फोन पर जोर-जोर से चिल्ला रही थी कि उसे वहां से बाहर निकालो
इसके बाद अंकिता के जाने फिर तीनों आरोपियों के लौटने के सारे घटनाक्रम को उसने गवाही में दोहराया। कोर्ट में बचाव पक्ष की जिरह के दौरान खुशराज ने कहा कि वह 19 को ही लक्ष्मणझूला थाने गया था। यहां वह आरोपी और अन्य कर्मचारियों के साथ चार दिन रहा। जाहिर है कि यहां इनसे पूछताछ भी की गई होगी। अब सवाल यह उठता है कि जांच मिलने के बाद चंद घंटों बाद ही खुलासे का दावा करने वाली रेगुलर पुलिस चार दिनों तक इनके साथ क्या कर रही थी?