Kanpur-उन्नाव चमड़ा उद्योग क्षेत्र में महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए सॉलिडारिडाड और LSSC ने साझेदारी की
कानपुर। चमड़ा उद्योग क्षेत्र में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक बेमिसाल पहल की शुरुआत की गई है, जिसके तहत सॉलिडारिडाड तथा चमड़ा क्षेत्र कौशल परिषद (एल.एस.एस.सी.) ने समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर करके बेहद महत्वपूर्ण साझेदारी को औपचारिक रूप दिया है। एल.एस.एस.सी. के अध्यक्ष, मुख््तारुल अमीन और सॉलिडारिडाड-इंडिया की कंट्री मैनेजर, मोनिका खन्ना ने इस एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर एल.एस.एस.सी. के कार्यकारी निदेशक, संजय कुमार भी उपस्थित थे। श्री अमीन ने इस समझौते को चमड़ा क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि, यह महिला कामगारों को ज्यादा-से-ज्यादा लाभ पहुँचाने वाला है, जो समाज के हर तबके को उद्योग के दायरे में लाने और इसे सस्टेनेबल बनाने के विजन को आगे बढ़ाएगा। कानपुर के स्टेटस क्लब में इस समझौते पर हस्ताक्षर किया गया, जो निश्चित तौर पर महिला कामगारों, विशेष रूप से कानपुर-उन्नाव चमड़ा उद्योग क्षेत्र में घर से काम करने वाली महिलाओं के लिए कौशल-आधारित प्रशिक्षण में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाला है।
आज दिन की शुरुआत में, आर.के. जालान (अध्यक्ष, सी.एल.ई.), संजय कुमार (कार्यकारी निदेशक, एल.एस.एस.सी.), मुख््तारुल अमीन (अध्यक्ष, एल.एस.एस.सी.), नवारुल हक (अध्यक्ष, यू.पी.एल.आई.ए.), श्री असद इराकी (क्षेत्रीय अध्यक्ष, सी.एल.ई.), एच. रहमान (अध्यक्ष, एस.टी.ए.), पल्लवी दुबे (क्षेत्रीय निदेशक, सी.एल.ई.), ताज आलम (अध्यक्ष-यू.पी.एल.आई.ए., उन्नाव चैप्टर), मोनिका खन्ना (कंट्री मैनेजर, एस.आर.ई.सी.), ततहीर जैदी (एम.एस.एम.ई. में प्रदूषण प्रबंधन के प्रमुख, सॉलिडारिडाड एशिया) द्वारा ‘‘सॉलिडारिडाड रिसोर्स सेंटर‘‘ का उद्घाटन किया गया।
चमड़ा उद्योग में महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने, उनके कौशल को बेहतर बनाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में सक्षम बनाने के मुख्य उद्देश्य के साथ इस केंद्र की शुरुआत की गई है। यह केंद्र बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के साथ-साथ आधुनिक मशीनरी से सुसज्जित है। इसी संबंध में सॉलिडारिडाड ने चमड़ा क्षेत्र कौशल परिषद (एल.एस.एस.सी.) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रशिक्षण पूरा होने पर महिलाओं को सॉलिडारिडाड की ओर से प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, जिससे उनके कौशल को उद्योग की मांग के अनुरूप बनाया जा सकेगा तथा कुल मिलाकर उनकी खुशहाली को बढ़ावा मिलेगा।
फिलहाल चमड़ा उद्योग में काम करने वाली महिला कामगारों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से ज्यादातर महिलाएँ अनौपचारिक परिवेश में काम करती हैं और उनके लिए औपचारिक प्रशिक्षण या संसाधन भी सीमित रूप से ही उपलब्ध होते हैं। उन्हें अक्सर खराब कामकाजी परिस्थितियों, कम वेतन और नौकरी की सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ता है। अक्सर उनकी भूमिकाओं को कम महत्व दिया जाता है, साथ ही उन्हें आगे बढ़ने और तरक्की करने के अवसर भी बहुत कम मिलते हैं। यह स्थिति न केवल उनकी आर्थिक क्षमता पर बुरा असर डालती है, बल्कि कुल मिलाकर उनकी खुशहाली को भी प्रभावित करती है। इस एम.ओ.यू. के बाद घर से काम करने वाली कई महिला कामगारों को विशेष प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें लाभान्वित किया जाएगा। यह पहल उनके कौशल को निखारने, उनकी उत्पादकता में सुधार लाने और उन्हें बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। कौशल विकास पर विशेष ध्यान देने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन महिलाओं को अनौपचारिक, कम वेतन वाले पदों से ऊपर उठाकर उद्योग में अधिक कुशल और उच्च वेतन वाले पदों पर पहुँचाना है।
इस अवसर पर सॉलिडारिडाड इंडिया की कंट्री मैनेजर, मोनिका खन्ना ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘चमड़ा क्षेत्र में महिलाओं को सक्षम बनाने के हमारे मिशन में आज का दिन सबसे ज्यादा मायने रखता है। हम इस एम.ओ.यू. के जरिये घर से काम करने वाली महिला कामगारों के कौशल को बेहतर बनाने के साथ-साथ उनके लिए अधिक आर्थिक स्वतंत्रता और नौकरी की सुरक्षा प्राप्त करने की राह भी आसान बना रहे हैं। हम उद्योग जगत को सभी के लिए एक-समान बनाना चाहते हैं, जहाँ हर महिला को कामयाबी हासिल करने और सस्टेनेबल तरीकों में अपना योगदान देने का मौका मिले।
ततहीर जैदी, एम.एस.एम.ई. में प्रदूषण प्रबंधन के प्रमुख, सॉलिडारिडाड एशिया ने सस्टेनेबल तरीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अपने वक्तव्य में प्रशिक्षण कार्यक्रमों में पर्यावरण संबंधी विचारों को शामिल करने की अहमियत के बारे में बताया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारी अपना काम करते समय पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को अपना सकें।
आदित्य कुमार सिंह, कार्यक्रम प्रबंधक, कानपुर ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में इस पहल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को उजागर किया कि, महिलाओं के कौशल को बेहतर बनाने से न केवल उनकी व्यक्तिगत और आर्थिक विकास में योगदान मिलता है, बल्कि कुल मिलाकर देखा जाए तो उद्योग की उत्पादकता भी बढ़ती है। सिंह ने कहा कि सभी को एक-समान अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए यह साझेदारी की गई है, जिससे महिलाओं को अपने कौशल के लिए पहचान मिल सकेगी और बेहतर नौकरी सुरक्षा हासिल हो सकेगी।‘
इस अवसर पर चमड़ा निर्यात परिषद (सी.एल.ई.) के अध्यक्ष, आर. के. जालान ने कानपुर और उन्नाव लेदर क्लस्टर के लिए एक सस्टेनेबिलिटी टूलकिट भी लॉन्च किया। इस उद्योग से जुड़े सभी हितधारकों की मदद करने, चमड़ा कारीगर की क्षमता को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने, पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने तथा कामकाज में सस्टेनेबल तरीकों को अपनाने के लिए यह टूलकिट तैयार की गई है। यह पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदार तरीके से चमड़ा उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है। इस आयोजन को उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ताओं का जोरदार समर्थन मिला, जिनमें उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ (यू.पी.एल.आई.ए.) के अध्यक्ष, श्री अनवारुल हक तथा लघु चमड़ा उद्योग संघ (एस.टी.ए.) के अध्यक्ष, श्री एच. रहमान शामिल थे। इन दोनों नेतृत्वकर्ताओं ने आपसी सहयोग की अहमियत और चमड़े के छोटे कारखानों को सशक्त बनाने की जरूरत पर बल दिया।
हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एच.बी.टी.यू.), कानपुर के उप-कुलपति, प्रो. समशेर ने प्रदूषण की रोकथाम पर केंद्रित प्रशिक्षण मॉड्यूल पेश किया। यह मॉड्यूल चमड़ा कारखाने में काम करने वाले कामगारों को सस्टेनेबल तरीकों को लागू करने के लिए जरूरी जानकारी एवं उपकरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे पर्यावरण की हिफाजत करने के लिए सॉलिडारिडाड के संकल्प को और मजबूत बनाया जा सके।
कार्यक्रम के अंत में, सी.एल.ई. के क्षेत्रीय अध्यक्ष, असद इराकी ने सतत विकास को बढ़ावा देने में इस तरह की साझेदारियों की अहमियत को उजागर किया। इराकी ने कहा कि आज हमारे सामूहिक प्रयासों ने आज एक ऐसे भविष्य के लिए मंच तैयार किया है, जहाँ महिलाओं को न केवल उनके योगदान के लिए पहचाना जाएगा बल्कि उन्हें उद्योग के भीतर नेतृत्व करने और इनोवेशन करने में भी सक्षम बनाया जाएगा।
इस कार्यक्रम में कई सम्मानित अतिथियों और प्रमुख प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें चमड़ा क्षेत्र कौशल परिषद (एल.एस.एस.सी.) के कार्यकारी निदेशक, संजय कुमार; चमड़ा निर्यात परिषद (सी.एल.ई.) की क्षेत्रीय निदेशक, पल्लवी दुबे; उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ (यू.पी.एल.आई.ए.) के अध्यक्ष, श्री अनवारुल हक; लघु चर्मशोधन उद्योग संघ (एस.टी.ए.) के अध्यक्षएच. रहमान और यू.पी.एल.आई.ए. के उन्नाव चौप्टर के अध्यक्ष, ताज आलम शामिल थे। यह पहल चमड़ा उद्योग में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो घरेलू महिला कामगारों को आगे बढ़ने के लिए उपकरण और अवसर प्रदान करने के साथ-साथ पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा देती है।