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जाने कैसे अपने उत्तराखंड से ही होंगे कैलाश पर्वत के दर्शन, न चीन, न नेपाल जाने का झंझट, न खर्चा ?

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उत्तराखंड : बताया जा रहा है कि भारत में एक ऐसे स्थान के बारे में पता चला है, जहां से सीधे कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकते है, जिससे चीन जाने की जरुरत नहीं होगी. ये स्थान उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले में लिपुलेख पहाड़ियों पर है | इस स्थान को लेकर दावा किया जा रहा है कि यहां से सीधे कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं और यहां से पर्वत की हवाई दूरी 50 किलोमीटर है | यानी उत्तराखंड से 50 किलोमीटर दूर के पर्वत को सीधे देखा जा सकता हैै |

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ा दावा किया है कि वर्ष 2023 के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा बिना चीन या नेपाल गए पूरी की जा सकेगी। अभी कैलाश मानसरोवर यात्रा का रूट चीन और नेपाल की तरफ से है। उन्होंने दावा किया कि अगले साल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ रूट को चालू कर दिया जाएगा।

कैलाश मानसरोवर यात्रा अब बिना चीन या नेपाल गए पूरी हो सकेगी! आपको सुनने में भले ही आश्चर्यजनक लगे, लेकिन केंद्रीय पथ परिवहन एवं हाइवे मंत्री नितिन गडकरी ने यह दावा किया है। लोकसभा में उत्तराखंड पिथौरागढ़ रूट पर केंद्रीय मंत्री का बड़ा दावा सामने आया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इस रूट को पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह रूट तैयार होने के बाद वे पीएम नरेंद्र मोदी को भी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर लेकर जाएंगे।

लोकसभा में नितिन गडकरी ने इस रूट को लेकर जो अपडेट दिया है, उसने हलचल मचा दी है। नितिन गडकरी ने कहा कि कैलाश मानसरोवर रूट पर 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है। उन्होंने साफ कर दिया कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इसे हर हाल में पूरा करा लिया जाएगा। चीन और नेपाल के रास्ते मानसरोवर न जाना पड़े, इसलिए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से रूट तैयार किया जा रहा है। इससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वालों का न केवल समय बचेगा, बल्कि कठिन रास्तों की दुश्वारियां भी खत्म होंगी।

नितिन गडकरी ने कहा कि विशेष हेलिकॉप्टर और लड़ाकू विमान के जरिए -5 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके में मशीन पहुंचाई गई है। उन्होंने कहा कि अब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) का ही कार्य बाकी है। 85 फीसदी कार्य को पूरा कराने में सफलता मिली है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री ने पिथौड़ागढ़ जिले की धारचूला तहसील से लिपुलेख तक रोड कनेक्टविटी होने पर बीआरओ को बधाई भी दी थी। इस रोड को कैलाश मानसरोवर यात्रा के प्रमुख रास्ते के तौर पर जाना जाता है।

सरकार की ओर से उत्तराखंड से जुड़ती चीन सीमा पर करीब 80 किलोमीटर लंबाई की सड़क बनाई जा रही है। यह सड़क वास्तविक तौर पर पिथौरागढ़ से घटियाबागड़ वाया तवाघाट रोड का विस्तार है, जो लिपुलेख के पास कनेक्ट होता है। यह सड़क रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। धारचूला के चीन बॉर्डर से जुड़ने वाली इस सड़क की समुद्र तल से ऊंचाई 17 हजार फीट है। इस रास्ते के खुल जाने से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में लगने वाला समय कई दिन कम हो जाएगा। घटियाबागड़ से शुरू होकर यह रोड लिपुलेख पास की तरपु मुड़ता है, जिसे मानसरोवर यात्रा का गेटवे कहा जाता है।

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