उत्तराखंडदेहरादून

उच्च शिक्षा का चिंतन शिविर शीघ्र: डॉ. धन सिंह रावत

  • रोजगार, शोध व नवाचार युक्त शिक्षा पर रहेगा फोकस
  • कहा, उच्च शिक्षा उन्न्यन को बनेगा भविष्य का ठोस रोड़मैप

देहरादून : प्रदेश की उच्च शिक्षा को गुणवत्तापरक, रोजगारपरक, शोध आधारित और नवाचार युक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य में शीघ्र ही दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जायेगा। राज्य स्तरीय इस चिंतन शिविर में एनईपी-2020 के अनुरूप विभिन्न पहलुओं पर मंथन कर भविष्य के लिये ठोस रोड़मैप तैयार किया जायेगा। इसके लिये विभागीय अधिकारियों को सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दे दिये गये हैं।

सूबे के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के उन्नयन को अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया जायेगा। जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में एनईपी-2020 के अनुरूप रणनीतिक सुधारों की पहचान कर भविष्य के लिये ठोस रोड़मैप तैयार करना है ताकि प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापरक, रोजगारपरक, शोध आधारित और नवाचार युक्त उच्च शिक्षा युवाओं को मिल सके और वह भविष्योन्मुखी विषयों में दक्षता हासिल कर सके। डॉ. रावत ने बताया कि चिंतन शिविर में शिक्षा सुधारों के लिये विभिन्न परियोजनाओं के संचालन के लिये प्रतिष्ठित शैक्षणिक व व्यापारिक प्रतिष्ठित संस्थानों से साझेदारियों को भी अमलीजामा पहनाया जायेगा, साथ ही शिक्षा, शोध व उद्योग से जुड़े लोगों से भी प्रभावी समन्वय स्थापित किया जायेगा। इसके अलावा चिंतन शिविर में उच्च शिक्षा में सुधार को एनईपी-2020 का प्रभावी क्रियान्वयन, शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता, संबद्धता प्रणाली, शैक्षणिक संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण एवं नीतिगत सुधारों पर विचार-विमर्श किया जायेगा। इसके साथ ही उच्च शिक्षा को डिजिटलाइजेशन, समावेशिता, बहु-विषयक दृष्टिकोण, शोध, नवाचार, रोजगार एवं प्लेसमेंट से जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की जायेगी।

डॉ. रावत ने बताया कि चिंतन शिविर में प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, शोधकर्ता, शिक्षा उद्यमी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, महाविद्यालयों के प्राचार्य सहित विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक एवं औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे। चिंतन शिविर के सफल आयोजन के लिये उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सभी तैयारियां समय पर पूरा करने के निर्देश दे दिये हैं।

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