उत्तर प्रदेशधर्मपर्व

पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म जयंती का आयोजन किया।

बिजनौर – ( नजीबाबाद ) भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा मोर्चा सोशल मीडिया के जिला प्रमुख रितेश सेन और उनके समर्थकों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं ने आदर्श नगर में बूथ संख्या 284 पर पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म जयंती का आयोजन किया और पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की इस अवसर पर रितेश सेन ने कहा की पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। डॉ॰ मुखर्जी ने 1917 में मैट्रिक किया तथा 1921 में बी०ए० की उपाधि प्राप्त की। 1923 में लॉ की उपाधि अर्जित करने के पश्चात् वे विदेश चले गये और 1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपने पिता का अनुसरण करते हुए अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली थीं। 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे। एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद् के रूप में उनकी उपलब्धि तथा ख्याति निरन्तर आगे बढ़ती गयीडॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ॰ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार में वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए।मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। साम्प्रदायिक लोगों को ब्रिटिश सरकार प्रोत्साहित कर रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। 1942 में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न राजनैतिक दलों के छोटे-बड़े सभी नेताओं को जेलों में डाल दिया।जिला प्रमुख रितेश सेन ने कहा कि जो लोग आज भाजपा को कहते हैं कि भाजपा धर्म की राजनीति करती है मैं उनसे बता देना चाहता हूं भाजपा और भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता का एजेंडा डॉ॰ मुखर्जी की धारणा के प्रबल समर्थक हैं और डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी मानते थे कि आधारभूत सत्य यह है कि हम सब एक हैं। हममें कोई अन्तर नहीं है। हम सब एक ही रक्त के हैं। एक ही भाषा, एक ही संस्कृति और एक ही हमारी विरासत है। परन्तु उनके इन विचारों को अन्य राजनैतिक दल के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित-प्रसारित किया। बावजूद इसके लोगों के दिलों में उनके प्रति अथाह प्यार और समर्थन बढ़ता गया। अगस्त, 1946 में मुस्लिम लीग ने जंग की राह पकड़ ली और कलकत्ता में भयंकर बर्बरतापूर्वक अमानवीय मारकाट हुई। उस समय कांग्रेस का नेतृत्व सामूहिक रूप से आतंकित था।ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को एक कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ॰ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। गान्धी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मन्त्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया। किन्तु उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी केकर कमल पर चलते हुए आज भारतीय जनता पार्टी और भारत के ही नहीं विश्व के नेता के रूप में उभरे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धारा 370 खत्म करके श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है और हम सब मांग करते हैं कि जल्द से जल्द भारत सरकार को दो बच्चों का कानून समान नागरिक संहिता पूरे देश में लागू होना चाहिए इस अवसर पर प्रमोद पाल मनोज पाल आशीष कुमार जिला प्रमुख रितेश सेन भगवान दास सहित पार्टी के कई कार्यकर्ता बंधुओ ने पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

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