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मनुष्य के जीवन में प्रेम और परिवारिक रिश्ते में क्यूं पड़ती हैं दरारें…

अक्सर मनुष्य जीवन में कई प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है घर से लेकर बाहर तक की कई प्रकार की स्थिति को देखकर चलना पड़ता है लेकिन आज की युवा पीड़ी को नशे की लत ने ऐसा करने पर मजबूर कर दिया है कि इस नशे की हालात में वह अपने आप को जल्द से जल्द अंत की ओर पहुंचाने में लगे होते है। ऐसी स्थिति में वह मानसिक तौर से कमजोर भी हो जाते है ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता है कि करना क्या है ऐसे में उनके परिवार पर भारी प्रभाव पड़ता है। युवा पीड़ी प्यार और नशे की लत में इस तरह से फंस जाते है कि वह अपने माता-पिता को तो छोड़ो वह अपने आप को नहीं समझ पाते कि उन्हें अपने भविष्य में करना क्या है। शुरुआती जीवन बच्चे का घर से शुरु हो कर बाहर तक का सफर तय होता है मनुष्य एक परिवार का पालन पोषण करने में अपना सारा जीवन व्यतीत कर अपने बच्चों का भविष्य सवारने में लगा होता है बाल्य अवस्था में बच्चों को कोई समझ नहीं होती कि जीवन क्या करना है और ये किस तरह से लोगों के जीवन में आता है और चला जाता है लेकिन धीरे-धीरे जब बच्चे अपनी पढ़ाई पुरी करते है तब तक उन्हें पूरा तो नहीं लेकिन जिंदगी के कुछ पलों को तो पता चल ही जाता है कि लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी कि उनको पता ही नहीं होता कि वह इस दुनिया में आये ही क्यूं है उन्हें तो सिर्फ प्यार के चक्कर में कुछ दिखाई ही नहीं देता। कि जिंदगी में करना क्या है वह उस समय यह सोचते ही नहीं कि हमारे माता-पिता ने हमें इस स्थिति में लाने के लिए कितनी समस्याओं का सामना किया तब जाकर हम इस उम्र में पहूंचे। कड़े संघषों के पश्चात मनुष्य अपने परिवार को पालकर बड़ा करता है। लेकिल आज की युवा पीड़ी में 90 प्रतिशत ऐसे युवा है जो प्यार में सबकुछ खो बैठते है उन्हें कोई चिंता नहीं सिर्फ प्यार के अलावा। जिसमें कभी 100 प्रतिशत सफल होने के चांस ही नहीं होते। युवा पीड़ी इस स्थिति में सफल नहीं होते तो वह अपने आप को कई तरह की परिस्थिति में ढ़ाल लेते है कि वह अपने जीवन का अंत करने में तुले होते है। जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करना, मानसिक परिस्थितियों से गुजरना कई तरह की ऐसी चीजों से घीरे रहते है उस समय उन्हें यह याद ही नहीं रहता कि वह इस समय जिस उम्र में है वह कैसे यहां पहुंचे जोकि उनके माता-पिता के कड़े संघर्षों के बाद उन्हें इस उम्र तक पहुचाया कि आगे चलकर वह अपने और हमारे जीवन का सहारा बने और हमारा आगे का जीवन अच्छे से व्यतीत हो। लेकिन माता-पिता को कहा पता था कि हमारी संतान आने वाले समय में इस स्थिति में ढल जांएगी। मनुष्य जीवन का एक उदाहरण ये भी है लेकिन कहा जाता है कि सिक्के के दो पहलू होते है दूसरा पहलू यह भी कि मनुष्य को अपने आप को अपने परिवार को चलाने के लिए कई तहर के प्रयास करके चलाना पड़ता है प्राईवेट नौकरियों में मनुष्य घिरा रहता है जिससे में ज्यादा से ज्यादा काम करके अधिक मुनाफा करना चाहता है कि उनका बॉस उन पर मेहरबान होकर उनका वेतन बढ़ा सके। जिससे उनका परिवारिक जीवन अच्छे से चल सके। प्राईवेट नौकरी में युवा/मनुष्य इस तरह व्यस्त हो जाता है कि वह अपने परिवारिक रिश्ते में कभी बात भी नहीं कर पाता लेकिन लोगों को लगाता है कि वह अब ऐसी स्थिति में ढल चुका है कि छोटे लोगों के बात करना पंसद नहीं करता जबिक ऐसा नहीं है प्राईवेट नौकरी में अक्सर ऐसा होता है कि वेतन से ज्यादा कई गुणा काम करके देना होता है जिससे बॉस हम पर मेहबान रहे। ऐसा नहीं है कि प्राईवेट नौकरियां आसान होती है इस नौकरी में भी कई तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ता है लेकिन ऐसा है कि हर जगह हर तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य जीवन ऐसा ही है जिस ने अपने जीवन में समझ लिया कि उसे इस जीवन में करना क्या है वहीं इस जीवन मनुष्य में सफल है जिसमें मनुष्य को अपनी घर गृहस्थि और अपने माता-पिता-रिश्तेदार सभी को एकसमान रखकर चलना होता है अगर ऐसा नहीं करता तो सभी रिश्तों में दरारें पड़ने के आसार होते है।

प्रस्तुतिकरण-निशांत भारती

 

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