उत्तराखंडदेहरादून

पर्यावर संरक्षण की विषय-वस्तु पर आधारित एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन नंदा देवी राष्ट्रीय उ‌द्यान के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ

चमोली ( प्रदीप लखेड़ा )
देश और दुनिया को चिपको आन्दोलन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देने वाले रैणी गांव में चिपको आन्दोलन प्रणेता स्व० गौरा देवी जी के जन्म-शती समारोह के उपलक्ष्य में पर्यावर संरक्षण की विषय-वस्तु पर आधारित एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन नंदा देवी राष्ट्रीय उ‌द्यान के तत्वावधान सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्व० गौरा देवी जी
के 100वें जन्म वर्ष को स्मरणीय बनाना एवं भारतीय डाक विभा द्वारा उनके सम्मान में जारी किए गए Customized My Stamp तथा Special Cover का विमोचन करना रहा, जो उन् समर्पित एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि थी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुबोध उनियाल, मंत्री (वन, भाषा, निर्वाचन एवं तकनीकी शिक्षा उत्तराखंड सरकार, अध्यक्षता क्षेत्रीय विधायक लखपत सिंह बुटोला, विधायक (बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र) व विशिष्ट अति के रूप में स्व० गौरा देवी जी के सुपुत्र चंद्र सिंह राणा व डाक विभाग की ओर से शशि शालिनी कुजुर, मुख्य पोस्त मास्टर जनरल, उत्तराखंड, अनसूया प्रसाद चमोला, निदेशक, डाक विभाग उपस्थित रहे।
स्थानीय ग्रामीणजन, रेणी, लाता एवं अन्य ग्रामों के प्रधान, वन पंचायत सरपंच, महिला एवं युवक मंगल दलों, मीडिय प्रतिनिधि, वन एवं अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों तथा स्थानीय ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। लाता ए रेणी ग्राम के महिला मंगल दलों द्वारा चिपको आंदोलन की थीम पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई, जिनके माध्यम प्रकृति संरक्षण एवं पर्यावरणीय जागरुकता का संदेश दिया गया। चंद्र सिंह राणा (स्व. गौरा देवी जी के सुपुत्र) ने अपनी मात की स्मृतियों को साझा किया, वहीं वन पंचायत सरपंचों द्वारा मुख्य अतिथि के समक्ष ज्ञापन प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि “गौरा देवी जी के संघर्ष से यह सीख मिलती है कि एक सामान्य नागरिक भी पर्यावरण संरक्षण में अभूतपू योगदान दे सकता है। उन्होंने केवल अपने पगरैंणी (रेणी) के जंगलों को ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड और समूचे देश के वनों व बचाने की प्रेरणा दी।” मा0 मंत्री जी ने कहा कि ‘वन बचाओ, जीवन बचाओ’ का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितन चिपको आंदोलन के समय था। मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को समय की आवश्यकता बताते हुए जनभागीदारी को बढ़ाने हे सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
विधायक लखपत सिंह बुटोला ने कहा कि “गौरा देवी जी और रेणी की महिलाओं ने उस दौर में जो साह दिखाया, वह केवल पेड़ों को बचाने का संघर्ष नहीं था, बल्कि अपने अधिकारों, अपने ‘हक-हकूक’ और अपनी आने वाली पीढ़ियो के भविष्य की रक्षा का आंदोलन था।”
प्रमुख वन संरक्षक / वन्यजीव प्रतिपालक उत्तराखंड श्री रंजन कुमार मिश्र ने वन विभाग की विभिन्न जन-सहभागित से जुड़ी योजनाओं तथा मानव वन्य जीव संघर्ष रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

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