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देश को मिली नई संसद भवन

पीएम मोदी ने विधिवत पूजन के बाद किया भव्य उद्घाटन

नयी दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नई संसद भवन का उद्घाटन किया है। नई इमारत के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की मूर्ति को प्रणाम किया। नई संसद भवन के उद्घाटन किए जाने का लंबे समय से इंतजार हो रहा था। इसके बाद ऐतिहासक राजदंड ‘सेंगोल’ का विधिवत पूजन करने के बाद उसे साष्टांग किया। इसके बाद ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया गया है।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चिर परिचित अंदाज में दिखे। पूजन के मौके पर उन्होंने सफेद रंग का धोती-कुर्ता पहन रखा था। इसके ऊपर उन्होंने क्रीम कलर का जैकेट भी पहना। पारंपरिक परिधान में प्रधानमंत्री मोदी ने द्वार संख्या-एक से संसद भवन परिसर में प्रवेश किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका स्वागत किया। इसके बाद मोदी और बिरला ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के साथ पूजा अर्चना व हवन किया। प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच गणपति होमम् अनुष्ठान किया। प्रधानमंत्री ने ‘सेंगोल’ (राजदंड) को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद ‘नादस्वरम्’ की धुनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी सेंगोल को नए संसद भवन लेकर गए और इसे लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के दाईं ओर एक विशेष स्थान में स्थापित किया।

कई मंत्री रहे मौजूद

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, एस. जयशंकर और जितेंद्र सिंह, योगी आदित्यनाथ सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ कर्मचारियों को शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर एक सर्वधर्म प्रार्थना भी आयोजित की गई। प्रधानमंत्री बाद में लोकसभा अध्यक्ष और कुछ अन्य गणमान्य लोगों के साथ पुराने संसद भवन गए।

ये है संसद भवन की खासियत

टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान होगा। त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत 64,500 वर्ग मीटर में फैली है। इस इमारत के तीन मुख्य द्वार ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं। इसमें विशिष्ट जन, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार होंगे। नए भवन के लिए उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है। इमारत में इस्तेमाल सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से खरीदा गया था। राष्ट्रीय राजधानी में लाल किले और हुमायूं के मकबरे के लिए बलुआ पत्थर भी सरमथुरा से प्राप्त किया गया था। केसरिया हरे पत्थर को उदयपुर से, लाल ग्रेनाइट को अजमेर के पास लाखा से और सफेद संगमरमर को राजस्थान के अंबाजी से खरीदा गया है। एक अधिकारी ने कहा कि एक तरह से पूरा देश लोकतंत्र के मंदिर के निर्माण के लिए एक साथ आया, जो एक प्रकार से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की सच्ची भावना को दर्शाता है।

देश भर से आए सामानों से सजाया गया संसद भवन

लोकसभा और राज्यसभा के कक्षों में फॉल्स सीलिंग के लिए स्टील का ढांचा केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव से मंगाया गया है जबकि नई इमारत का फर्नीचर मुंबई में तैयार किया गया था। इमारत में पत्थर की जाली का काम किया गया है, जिसमें राजस्थान के राजनगर और उत्तर प्रदेश के नोएडा का योगदान है। अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई थी जबकि लोकसभा और राज्यसभा कक्षों की विशाल दीवारों और संसद भवन के बाहरी हिस्से में लगे अशोक चक्र को मध्य प्रदेश के इंदौर से खरीदा गया था। नए संसद भवन में निर्माण गतिविधियों के लिए कंक्रीट मिश्रण बनाने के लिए हरियाणा के चरखी दादरी से ‘एम-सैंड’ यानी निर्मित रेत का उपयोग किया गया। एम-सैंड को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि यह बड़े कठोर पत्थरों या ग्रेनाइट को कुचलकर निर्मित होता है, न कि नदी के तल में निकर्षण द्वारा। निर्माण में इस्तेमाल ‘फ्लाई ऐश’ ईंटें हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगाई गई थीं, जबकि पीतल के काम और पूर्वनिर्मित खाइयां गुजरात के अहमदाबाद से थीं। ‘फ्लाई ऐश’ एक बारीक पाउडर है जो तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।

कुल 1280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था

इसमें भारी धातु होते हैं और साथ ही पीएम 2.5 और ब्लैक कार्बन भी होते हैं। नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने पर कुल 1,280 सदस्यों को लोकसभा कक्ष में समायोजित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। पुराना संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था। पुरानी इमारत को वर्तमान आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया था। लोकसभा और राज्यसभा ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नया भवन बनाने का आग्रह किया था। पुरानी इमारत ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया और यह संविधान को अपनाने की गवाह भी बनी। मूल रूप से ‘इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल’ में स्थित इस संसद भवन को ‘काउंसिल हाउस’ कहा जाता था। संसद भवन में 1956 में अधिक जगह की आवश्यकता को देखते हुए दो मंजिलों को जोड़ा गया था। वर्ष 2006 में, भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय का निर्माण किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान भवन को कभी भी द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था और इसमें बैठने की व्यवस्था भी तंग थी। केंद्रीय कक्ष में केवल 440 लोगों के बैठने की क्षमता है और दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के दौरान अधिक जगह की आवश्यकता महसूस की गई थी।

बोले पीएम मोदी, विश्वास है कि संसद का नया भवन राष्ट्र के सामर्थ्य को नई शक्ति प्रदान करेगा

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को संसद के नए भवन का उद्घाटन कर इसे देश को समर्पित कर दिया है। नई इमारत के उद्घाटन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी की मूर्ति को प्रणाम किया। नई संसद भवन का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताया कि यह भव्य इमारत जन-जन के सशक्तीकरण के साथ ही, राष्ट्र की समृद्धि और सामर्थ्य को नई गति एवं शक्ति प्रदान करेगी।

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया कि आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए अविस्मरणीय है। संसद का नया भवन हम सभी को गर्व और उम्मीदों से भर देने वाला है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह दिव्य और भव्य इमारत जन-जन के सशक्तीकरण के साथ ही, राष्ट्र की समृद्धि और सामर्थ्य को नई गति और शक्ति प्रदान करेगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया। पारंपरिक परिधान में मोदी ने द्वार संख्या-एक से संसद भवन परिसर में प्रवेश किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका स्वागत किया। इसके बाद मोदी और बिरला ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।

योगी आदित्यनाथ ने दी बधाई

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रविवार को नये संसद भवन के उद्घाटन पर देशवासियों को हार्दिक बधाई दी। मुख्‍यमंत्री योगी ने रविवार को एक ट्वीट में कहा कि ऐतिहासिक क्षण। ‘नये भारत’ की आशाओं, अपेक्षाओं और अभिलाषाओं की पूर्ति का प्रतीक, वैभवशाली, गौरवशाली व प्रेरणादायी नये संसद भवन को आज आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया है। सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई।

कहा-दुनिया भारत को उम्मीद से देख रही है

तमिलनाडु के अधीनम संतों द्वारा पूरे विधि-विधान के साथ अनुष्ठान कराए जाने के बाद नई संसद भवन का उद्घाटन हो चुका है। इस नई संसद भवन में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन भी दिया। नई संसद के उद्घाटन समारोह के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की यात्रा में कई ऐसे क्षण आते हैं, जो अमर हो जाते है। इतिहास में कुछ तारीखें ऐसे शामिल होती हैं कि वो अमिट हस्ताक्षर बन जाती है। नई संसद भवन का उद्घाटन समारोह भी ऐसा ही अवसर है।

प्रधानमंत्री मोदी देश की संसद के उद्घाटन अवसर पर संसद और देश को संबोधित करते हुए कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश भर में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा सुबह से ही संसद परिसर में सर्वपंथ प्रार्थना की गई है, जिसके लिए मैं सभी देशवासियों को भारतीय लोकतंत्र के इस स्वर्णिम पल की बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये सिर्फ भवन नहीं बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। इस इमारत के उद्घाटन के साथ ही दुनिया को ये पता चल गया है कि भारत की दिशा नई है, दृष्टी नईं है, संकल्प नया है। नए रास्तों पर चलने पर ही नए कीर्तिमान गढ़े जाते है। भारत नया लक्ष्य हासिल कर रहा है। देश भर में नया जोश, नई उमंग, नई सोच और नया विश्वास है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नए रास्तों पर चलने से ही नए कीर्तिमान गढ़े जाते है। नया भारत नए लक्ष्यों को हासिल कर रहा है। उन्होंने संसद भवन में सेंगोल की स्थापना किए जाने के संबंध में कहा कि चोल साम्राज्य में यही सेंगोल कर्तव्य पथ, सेवा पथ, राष्ट्र पथ के प्रतीक के तौर पर देखा जाता था। सेंगोल ही सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था। तमिलनाडु से खास तौर पर आए हुए अधीनम के संत संसद में आशीर्वाद देने के लिए उपस्थित थे। सेंगोल की स्थापना संसद भवन में उन्हीं के मार्गदर्शन में हुई है। उन्होंने कहा कि संविधान ही हमारा संकल्प है। अगर ये संकल्प रुकता है जो भाग्य भी रुकता है। जो चलता है उसका भाग्य भी चलता है, इसलिए जरुरी है कि व्यक्ति भी चलता रहे। गुलामी के बाद देश में बहुत कुछ खोकर नई यात्रा आरंभ की थी और इस यात्रा में कई उतार चढ़ा देखने को मिले है। इन अनेकों चुनौतियों को पार कर भारत आजादी के अमृतकाल में पहुंचा है।

पीएम मोदी ने पेश किया नौ सालों का रिपोर्ट कार्ड

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को सिर्फ सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश बताया और कहा कि हमारा देश मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है, जिसने वैश्विक लोकतंत्र की नींव रखी है। लोकतंत्र हमारे संस्कार, विचार और परंपरा है। संबधोन के बाद प्रधानमंत्री ने अपने नौ वर्षों का रिपोर्ट कार्ड भी नई संसद में ही पेश किया। सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि भारत में बीते नौ वर्षों में नवनिर्माण हुआ है और इस दौरान गरीबों का कल्याण हुआ है। संसद भवन की नई इमारत को देखकर गर्व हो रहा है। हम अपना सिर ऊंचा कर गर्व से कह सकते हैं कि हमें संतोष है कि बीते नौ वर्षों में 11 करोड़ शौचलयों का निर्मण हुआ जिन्होंने महिलाओं की गरिमा की रक्षा की और उनको सम्मान से जीने का हक दिया। बीते नौ साल में गांवों को जोड़ने के लिए चार लाख किमी से ज्यादा सड़कों का निर्माण हुआ। भारत में आज एक ईको फ्रेंडली इमारत बनी है। एक तरफ आज नई संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है तो वहीं देश में 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवन भी बनाए हैं, जिससे साफ होता है कि केंद्र सरकार पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक एक ही निष्ठा और एक प्रेरणा से काम करती है। हमारा एक ही उद्देश्य है देश का विकास, देश के लोगों का विकास। इस भवन के उद्घाटन समारोह में संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भवन आधुनिक सुविधाओं और नवीनतम उपकरणों से लैस है। बता दें कि यह भवन आधुनिक सुविधाओं और नवीनतम उपकरणों से युक्त है। इस भवन के निर्माण में 60,000 से अधिक मजदूरों को रोजगार मिला था।

महाराष्ट्र के लोगों के लिए सम्मान की बात: शिंदे

मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को कहा कि दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन हिंदुत्व विचारक वी.डी. सावरकर को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि और महाराष्ट्र के लोगों के लिए सम्मान की बात है। शिंदे ने कहा कि इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने वाले राजनीतिक दलों ने भारत के लोकतंत्र और सावरकर का अपमान किया है। सावरकर की आज 140वीं जयंती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया। कई विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया और जोर देकर कहा कि देश के प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा संसद का उद्घाटन कराया जाना चाहिए था।

नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति मुर्मू को ‘नहीं बुलाए जाने’ से नाराज राकांपा

मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने रविवार को कहा कि यह दुखद है कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराया गया। शिवसेना (यूबीटी) ने दावा किया कि राष्ट्रपति मुर्मू की अनदेखी करके नए संसद भवन का उद्घाटन करना परंपरा और नियमों के अनुरूप नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार सुबह नयी दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा कक्ष में स्थापित किया। कई विपक्षी दलों ने समारोह का बहिष्कार किया और जोर देकर कहा कि राज्य के प्रमुख के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को यह सम्मान दिया जाना चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने ट्वीट किया कि हमारे देश में लोकतंत्र है, राजशाही नहीं। हमारी राष्ट्रपति, हमारे देश की संवैधानिक प्रमुख को नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करता देख दुख हुआ।” शिवसेना (यूटीबी) के नेता संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय ‘रोखठोक’ में दावा किया कि राष्ट्रपति मुर्मू की अनदेखी करके नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाना परंपरा और नियमों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने लिखा कि जिस तरह से संसद को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश की जा रही है यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। राउत ने लिखा, भारत की राष्ट्रपति को समारोह के लिए आमंत्रित भी नहीं किया गया , यही वजह है कि 20 विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया। राज्यसभा सदस्य राउत ने यह भी कहा कि नए संसद भवन की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि मौजूदा भवन अच्छी स्थिति में है। उन्होंने मराठी दैनिक समाचार पत्र में लिखा, “इतिहास याद रखेगा कि एक नए संसद भवन के लिए बेवजह 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे और भारत के राष्ट्रपति को भी आमंत्रित नहीं किया गया था।

नई इमारत की शान बढ़ा रहा अखंड भारत का नक्शा

देश को 28 मई को नया संसद भवन मिल गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय व्यक्ति गौरवान्वित है। इस दौरान पूजा अर्चना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के नए भवन को 140 करोड़ भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब करार देते हुए रविवार को कहा कि यह इमारत समय की मांग थी और इसके कण-कण से ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ के दर्शन होते हैं। उन्होंने संसद के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की पीठ के निकट स्थापित ‘राजदंड’ (सेंगोल) सभी को प्रेरणा देता रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नया संसद भवन देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। ये भवन विरासत, वास्तु, कला, कौशल युक्त है। इसमें संस्कृति से लेकर संविधान का स्वर है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि संसद भवन में देश की अलग अलग खासियतों और विविधताओं को शुमार किया गया है। देश की नई संसद में अखंड भारत का नक्शा, अंबेडकर-सरदार पटेल और चाणक्य की प्रतिमा भी इसका हिस्सा बनाया गया है। इन्हें देखकर देशवासियों को अपनी संस्कृति पर गर्व होगा। इस संसद भवन में लोकसभा में राष्ट्रीय पक्षी मोर, राज्यसभा में राष्ट्रीय फूल, और राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी शामिल किया गया है।

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