
देहरादून। हिमालयी राज्यो के समागम निनाद उत्सव 2025 में आठवां दिन भी गीत संगीत व नृत्य से गुलजार रहा। जिसमें उत्तराखंड सहित जम्मू कश्मीर के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। पहले सत्र में कार्यक्रम का शुभारंभ भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय अल्मोड़ा के रामभजन गायन से हुआ। कलाकारों ने रामभजन की शानदार प्रस्तुति देते हुए माहौल को भक्तिमय कर दिया।
इसके बाद भरतनाट्यम की एक नृत्य शैली तिल्लाना की प्रस्तुति हुई। संगीत महाविद्यालय की छात्राओं ने लय ताल व भाव प्रधान इस नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाविद्यालय की ओर से शिव स्तुति की भी शानदार प्रस्तुति दी गई।
कश्मीरी संस्कृति के रंग-गोजरी और डोगरी लोकनृत्य
जम्मू से पहुंचे कलाकारों ने ओपन थिएटर में अपनी खूबसूरत संस्कृति के रंग बिखेरे। पहले गोजरी नृत्य प्रस्तुत किया गया। गुज्जर जनजाति की महिलाओं के इस नृत्य में महिलाएं मवेशियों की सफाई के लिये संघर्ष करती दिखती हैं। इस दौरान एक पक्षी उन्हें परेशान करता है जिसे दूर करने के लिये लड़कियां एकत्र होती हैं। इसके बाद जम्मू के कलाकारों ने डोगरी लोकगीत छन-छन पाजेब मेरी छनके पर नृत्य प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व दूसरे सत्र में ओपन थिएटर में भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यलय देहरादून की ओर से शास्त्रीय गायन व नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद एमकेपी महाविद्यालय देहरादून की छात्राओं ने नंदा राजजात, लोकगीतों और नृत्यों की शानदार प्रस्तुति दी।
म्यूजिक थैरेपी- रोगों के उपचार में संगीत की भूमिका
निनाद उत्सव में आठवें दिन के दूसरे सत्र में रोगों के उपचार में संगीत की भूमिका पर कार्यक्रम हुआ। डॉ़.विजय भट्ट ने बांसुरी वादन के जरिए रोगों के उपचार के बारे में जानकारी दी। डॉ.भट्ट इस विषय पर देश में विभिन्न जगहों पर लंबे समय से व्याख्यान और बांसुरी वादन करते आ रहे हैं। उन्होने विभिन्न रागों के आधार पर रोगों के उपचार की विधा हासिल की है। देहरादून निवासी डॉ.भट्ट ने संगीत के साथ ही योग में शिक्षा हासिल की है और वे इस समय संगीत प्रैक्टिशनर के रूप में काम कर रहे हैं।



