
देहरादून स्पिक मैके के तत्वावधान में एवं एसआरएफ फाउंडेशन के सहयोग से विख्यात कथक नृत्यांगना विधा लाल ने आज वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), देहरादून स्थित सेंट्रल एकेडमी फॉर स्टेट फॉरेस्ट सर्विस में अपनी मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे पूर्व, वह अपने दौरे के दौरान दून स्कूल में भी प्रस्तुति दे चुकी हैं।
संगीत नाटक अकादमी द्वारा 2018 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित विधा लाल को अपनी पीढ़ी की अग्रणी कथक कलाकारों में गिना जाता है। उन्होंने अपनी लयात्मकता, तकनीकी निपुणता और भारतीय शास्त्रीय परंपराओं से गहरे जुड़ाव के माध्यम से देश-विदेश के दर्शकों को लंबे समय से प्रभावित किया है।
कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने एक भावपूर्ण दुर्गा स्तुति से की, जिसने वातावरण को भक्ति-मय बना दिया। इसके बाद उन्होंने तीन ताल की तकनीकी प्रस्तुति दी और समझाया कि किस प्रकार तबले के बोल (सिलेबल्स) कथक के शुद्ध नृत्य का आधार बनते हैं। लय और गति के सूक्ष्म पक्षों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों के लिए जटिलताओं को सरल और रोचक बना दिया।
अभिनय खंड में विधा लाल ने समुद्र मंथन, सीता हरण एवं मारीच वध, गणेश जी की कथा और कृष्ण लीला जैसे प्रसंगों को अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति और निपुण नृत्य के माध्यम से जीवंत कर दिया। प्रस्तुति का समापन तबले के साथ उनकी जुगलबंदी से हुआ, जिसने इसे एक जीवंत और संवादात्मक रूप दे दिया और दर्शकों से भरपूर तालियां बटोरीं।
कार्यक्रम की विशेषता रही उनका दर्शकों से अद्भुत संवाद। उन्होंने कथक की मुद्राओं से गेंद खेलने की क्रिया को दर्शाकर विद्यार्थियों को सहज उदाहरणों से जोड़ा और एक छोटा-सा क्विज़ भी कराया ताकि छात्र-छात्राएं अभिव्यक्ति और लय की भाषा को समझ सकें। इस रोचक शैली ने शास्त्रीय नृत्य को विद्यार्थियों के लिए सरल बनाया और उन्हें उसकी गहराई के और करीब ले आई।