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क्या शिवलिंग मे पडी दरारे दे रही है भ्यंकर संकट का संदेश ? जोशीमठ

जोशीमठ ¦ जोशीमठ में हालात अब बहुत ज्यादा गंभीर होते जा रहे हैं। शहर में शंकराचार्य मठ में भी कई जगहों पर दरारें आ गई हैं, जिससे मठ को खतरा पैदा हो गया है। इस मठ के परिसर में कुछ दिनों से दरारें आनी शुरू हुई थी। मठस्थली में बना शिव मंदिर लगभग पांच इंच धंस गया है। मंदिर में स्थापित स्फटिक के शिवलिंग में भी दरारें आ गई हैं।
 हिंदुओं का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल 

जोशीमठ शहर को ज्योतिर्मठ भी कहा जाता है। यह भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन गद्दी है, जिनकी मूर्ति हर सर्दियों में जोशीमठ के मुख्य बद्रीनाथ मंदिर से वासुदेव मंदिर में लाई जाती है। जोशीमठ हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

जोशीमठ में माधवाश्रम आादि शंकराचार्य ने इस मठ को स्थापित किया था। इस मठ में वैदिक शिक्षा के लिए देशभर से विद्यार्थी आते हैं। इस समय भी इस मठ में साठ विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं। आदि गुरु शंकराचार्य मठस्थली के भीतर ही शिवमंदिर है। मंदिर के पुजारी वशिष्ठ ब्रहमचारी बताते हैं कि इस मंदिर में वर्ष 2000 में जयपुर से एक स्फटिक का शिवलिंग ला कर स्थापित किया गया था।

•  एक साल से मंदिर मेंं आ रही थींं दरारें

करीब एक साल से मंदिर परिसर में दरारें आ रही थीं। तब उन्हें सामान्य दरार समझ कर सीमेंट से भरवा रहे थे। लेकिन कुछ दिनों से हालात और बिगड़ गये और ये दरारें सीमेंट से भी नहीं रूकीं। अब ये दरारें भयावह रूप ले चुकी हैं।

 नहीं हटायेंगे खंडित शिवलिंग

मंदिर से खंडित शिवलिंग को हटाने की बात पर पुजारी वशिष्ठ ब्रहम्चारी कहते हैं कि यह देवभूमि है और यहां के कण-कण में भगवान शिव विराजते हैं। तो यह  शिवलिंग कैसे खंडित माना जा सकता है। वे इस शिवलिंग को नहीं हटायेंगे। इस मामले में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के बिजलेश्वर महादेव मंदिर का उदाहरण दिया। बिजलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि जब भी बिजली कड़कती है, शिवलिंग के कई टुकड़े हो जाते हैं। लेकिन उसे खंडित नहीं माना जाता। इसी तरह से इस शिवलिंग को भी खंडित नहीं माना जा सकता है।

• नीचे की ओर धंस चुका हैै मंदिर

कुछ दिनों पहले ही शिवलिंग में चंद्रमा के आकार की दरार दिखाई दी थी लेकिन अब शिवलिंग में यह दरार बढ़ गयी है। मंदिर करीब छह से सात इंच नीचे की ओर धंस चुका है। दीवारों के बीच गैप बन गया है, जिससे बाहर की रोशनी आ रही है। मंदिर के भीतर लगी टाइलें भी उखड़ गई हैं।

• दरारग्रस्त घरों को ध्वस्त करने की सिफारिशस

चिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा के अनुसार विशेषज्ञ समिति ने पांच और छह जनवरी को प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था। जिसके बाद अध्ययन रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है। इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं। समिति ने ऐसे भवनों को ध्वस्त करने की सिफारिश की है जो सर्वाधिक प्रभावित हैं। संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करने को भी कहा गया है। प्रभावित क्षेत्र का भूगर्भीय सर्वेक्षण और धारण क्षमता की जांच की बात भी रिपोर्ट में कही गई है।

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