देहरादूनउत्तराखंड

उत्तराखंड जनजातीय खेल महोत्सव का शुभारंभ

देहरादून: जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआई) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय उत्तराखंड जनजातीय खेल महोत्सव आज पीआरडी ग्राउंड, ननूरखेड़ा, रायपुर, देहरादून में शुरू हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई और रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बड़े उत्साह और जीवंत जनसमूह के बीच इसका उद्घाटन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत 24 संस्थानों द्वारा मार्च पास्ट के साथ हुई, जिसके बाद राष्ट्रगान गाया गया। सांस्कृतिक जीवंतता को जोड़ते हुए, जनजातीय छात्रावास धनपो के छात्रों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया और हरिपुर कालसी के छात्रों ने पारंपरिक घरुल नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उमेश शर्मा काऊ ने कहा, “जनजातीय खेल महोत्सव उत्तराखंड के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्रतिभा का प्रमाण है। खेल न केवल एकता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि हमारे युवाओं के लिए एक स्वस्थ और उज्जवल भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं।”

महोत्सव में 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर, 800 मीटर और 1500 मीटर दौड़ के साथ-साथ 4×100 मीटर और 4×400 मीटर रिले दौड़ सहित पारंपरिक और आधुनिक खेल श्रेणियों की एक श्रृंखला शामिल है। लौंग जम्प, हाई जम्प, शॉट पुट और डिस्कस थ्रो जैसे फील्ड इवेंट भी मुख्य आकर्षण होंगे। इसके अलावा, कबड्डी और वॉलीबॉल जैसे टीम खेल, साथ ही शतरंज, प्रतिभागियों की प्रतिस्पर्धी भावना को सामने लाएंगे।

मुख्यमंत्री उत्तराखंड के अपर सचिव एसएस टोलिया ने इस तरह की पहल के माध्यम से आदिवासी सशक्तिकरण पर राज्य के दृष्टिकोण पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह महोत्सव समावेश और उत्कृष्टता की भावना का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य प्रतिभाओं को पोषित करना और आदिवासी खेलों व संस्कृति को बढ़ावा देना है।”

टीआरआई उत्तराखंड के समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी ने प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है जो न केवल हमारे आदिवासी युवाओं की एथलेटिक क्षमता को प्रदर्शित करे बल्कि उनकी संस्कृति और परंपराओं को भी बढ़ावा दे। हमें इस तरह के उत्साह और समर्पण को देखकर गर्व है।”

अगले दो दिनों में, यह महोत्सव न केवल एथलेटिक उत्कृष्टता बल्कि उत्तराखंड के आदिवासी समुदायों की जीवंत विरासत को भी दर्शाएगा। महोत्सव का उद्देश्य राज्य के आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित और प्रदर्शित करते हुए खेल कौशल को बढ़ावा देना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button