भगवान बुद्ध के कर्म का सिद्धांत विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।
बिजनौर – ( नजीबाबाद ) दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में वर्षावास धम्म प्रवचन मालिका -2024 के आयोजन के क्रम में सिद्धबली बिहार नजीबाबाद स्थित शुभि किड्स प्ले स्कूल में भगवान बुद्ध के कर्म का सिद्धांत विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ शुभि किड्स प्ले स्कूल की प्रबंधक श्रीमती मंजू गौतम एवं उनके पति एडवोकेट समसपाल सिंह ने भगवान बुद्ध के प्रतिमा के समक्ष मोमबत्ती प्रचलित कर पुष्प अर्पित कर नमस्कार, त्रिशरण पंचशील के साथ बुद्ध वंदना,धम्म वंदना, संघ वंदना करके किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के जिला अध्यक्ष सुखराम सिंह बौद्ध ने की तथा संचालन बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बौद्ध ने किया ।इस अवसर पर दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रदेश महासचिव बौद्धाचार्य एवं केंद्रीय शिक्षक राकेश मोहन भारती ने भगवान बुद्ध के कर्म का सिद्धांत विषय पर बोलते हुए कहा कि भगवान बुद्ध ने ही कर्म के सिद्धांत की स्थापना की और घोषणा की थी कि जो ‘जैसा बोओगे वैसा काटोगे’ उन्होने कर्म के सिद्धांत पर इतना अधिक जोर दिया कि बुद्ध के कर्म का सिद्धांत का सम्बंध सिर्फ कर्म से था और वह भी इसी जीवन के कर्म से, ससार का नैतिक क्रम कैसे सुरक्षित रहे इस बारे बुद्ध का कथन बहुत ही सरल व स्पष्ट है। संसार में कर्म का एक नियम है जो नैतिक क्रम को बनाए रखता है। संसार का नैतिक क्रम अच्छा या बुरा भी हो सकता है। यह मनुष्य पर निर्भर करता है किसी अन्यं पर नही।कर्म का अर्थ है मनुष्य द्वारा किया जाने वाला कर्म । और विपाक का अर्थ है उसका परिणाम या फल।यह नैतिक क्रम बुरा है। तो इसका अर्थ है कि मनुष्य अकुशल कर्म करता है यदि नैतिक क्रम अच्छा है तो इसका अर्थ है कि मनुष्य कुशल कर्म करता है ।बुद्ध ने सिर्फ कर्म की बात करके सतोष नहीं कर लिया। उन्होंने कर्म नियम अर्थात कर्म के सिद्धांत की बात कही, बुद्ध कहते हैं कि कर्म का फल उसी प्रकार पीछा करता है। जैसे दिन का पीछा रात करती है। कुशल कर्म का अच्छा फल जरूर मिलता है। और अकुशल कर्म के बुरे परिणाम से कोई भी नही बच सकता है। यही बुद्ध के कर्म का सिद्धांत है। इस मंगल अफसर पर मैनेजर जयराम भारती, नरेंद्र कुमार पत्रकार, मैनेजर अरविंद कुमार, मनोज कुमार, विनोद कुमार , राजवती,धनीराम सिंह, वीर सिंह बौद्ध ,तिलक राम सिंह बौद्ध, अतर सिंह बौद्ध, धर्मवीर सिंह,अंजूषा सिंह, संजय गौतम सहित अनेक उपासक, उपासिकाओं ने भाग लिया।