सुल्ताना डाकू या क्रांतिकारी ? – रितेश सैन।
बिजनौर – ( नजीबाबाद ) 7 जुलाई के दिन सुल्ताना को आगरा की जेल में फांसी दी गई थी कुछ लोगों का मानना है की सुल्तान डाकू नहीं क्रांतिकारी था अंग्रेजों ने उसे डाकू का तमगा दिया है इस विषय में संस्कृति फाऊंडेशन के संस्थापक रितेश सैन का मानना है की निश्चित रूप से सुल्ताना जैसा व्यक्ति डाकू नहीं हो सकता क्योंकि उसने कभी भी गरीबों को सताया नहीं उनके घर पर डाका नहीं डाला हां जो लोग अंग्रेजों की चमचागिरी करते थे या उनका संरक्षण देते थे उनसे सुल्ताना नाखुश रहता था और इसी का खामियाजा सुल्ताना ने भुगता है अंग्रेजों के एक शिकारी जिम कॉर्बेट ने अपनी किताब माय इंडिया में लिखा है जिसका शीर्षक है सुल्तान इज इंडिया’इंडियाज रॉबिन हुड जिम कॉर्बेट बताते हैं की सुल्ताना ने कभी भी गरीबों को नहीं लूट नहीं गरीबों को कभी सताने का कार्य किया है वह हमेशा आम आदमी के साथ अच्छा व्यवहार करते थे किसी भी दुकानदार से उन्होंने पूरे पैसे देकर ही सामान खरीदता था गरीबों में उसकी बहुत अच्छी पकड़ थी और इसी करण सुल्तान को पकड़ने में अंग्रेजों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था तो फिर वह डाकू कैसे हुआ रितेश सैन आगे बताते हैं कि सुल्ताना को पकड़ने में काफी मुश्किल होती थी इसीलिए 17 साल की उम्र में ही सुल्ताना को अंग्रेजों की पुलिस ने डाकू करार दिया था सुल्तान नहीं अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और जो अंग्रेजों को संरक्षण देते थे उन्हीं के यहां पर उसने डाका डालने का कार्य किया था सुल्ताना को आज भी लोग बहुत याद करते हैं उनकी नौटंकी आजभी उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत में चर्चा का विषय बनी हुई है।