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उन बच्चों को चिन्हित करें, जिन बच्चों को बाल श्रम में लगाया गया – जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल।

बिजनौर – जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल ने निर्देश दिये कि उन बच्चों को चिन्हित करें, जिन बच्चों को बाल श्रम में लगाया गया है। उन्होने कहा कि होटल, ढाबे, रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड आदि जगहों पर यदि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे श्रम करते हुए पाये जाय तो उन पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होने सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये है कि योजनाबद्व रूप से शासकीय विभागों व सम्बन्धित एनजीओ के साथ आपस में समन्वय स्थापित करते हुये बाल श्रम पर नियंत्रण करना सुनिश्चित करें। उन्होने कहा कि बाल श्रम कराना एक दण्डनीय अपराध है, इसे सबको मिल कर रोकना होगा। उन्होने जिला समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिये कि विभागीय योजनाओं की मुख्यधारा से बाल श्रमिकों को जोडा जाना और उन्हें शासकीय योजनाओं से आच्छादित करना सुनिश्चित करें।जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल की अध्यक्ष्ता में आज शाम 4ः00 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में बाल/बधुवा श्रमिकों को चिन्हित करने एवं अवमुक्त कराने तथा पुनर्वासन किये जाने के लिए गठित टास्क फोर्स बैठक आयोजित की गयी।उन्होने निर्देश दिए कि बाल एवं श्रम किशोर की रोक-थाम के लिये समय-समय पर औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा दुकानों वाणिज्यिक अधिष्ठानों में औचक निरीक्षण करें और जिस स्थान पर भी बाल श्रमिक पाएं जाएं, उन्हें अवमुक्त कराते हुए उनको शासकीय योजनाओं से लाभान्वित कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं एनजीओ के साथ वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में बालश्रम के प्रति जागरूकता एवं अपेक्षित नियंत्रण के लिए शिविरों का आयोजन करें। उन्होने निर्देशित करते हुए कहा कि निरीक्षण के दौरान चिन्हित बाल श्रमिको के शैक्षिक पुनर्वासन के लिए शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित करते हुये उनका स्कूलों में नामांकन कराते हुए शिक्षा की समुचित व्यवस्था करना सुनिश्चित करें। सहायक श्रम आयुक्त ने जानकारी देते हुए बताया कि श्रम विभाग द्वारा वर्तमान तक दुकानों वाणिज्यिक अधिष्ठानों में 98 निरीक्षण किए गए, जिसमें 130 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया तथा संबंधित अधिष्ठानों के संचालकों के विरूद्व कार्यवाही की गई। उन्होंने यह भी बताया कि अधिनियम की धारा-14 ऐसे व्यक्ति जो धारा-3 के उपबंधों के उल्लंघन में कार्य करने के लिए किसी भी बच्चे को नियुक्त अथवा स्वीकृत करता है, उसे 02 वर्ष तक की सजा (कम से कम 06 महीने) अथवा 50,000/- रूपये तक जुर्माना (कम से कम 20 हजार तक) अथवा दोनों प्रावधान हैं। जिस व्यक्ति को पहले भी इस तरह के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो उसे 01-03 साल तक की कैद हो सकती है। गैर खतरनाक व्यवसाय में किसी भी किशोर श्रमिक को नियुक्त अथवा स्वीकृत करने पर अधिकतम 10,000/- रूपये तक के जुर्माने का प्राविधान है।इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रशासन विनय कुमार सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 विजय कुमार गोयल, सहायक श्रम आयुक्त कृष्ण कुमार गुप्ता सहित अन्य संबंधित अधिकारी अधिकारी मौजूद थे।

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