छननी से क्यों देखती है चांद और पति का चेहरा?

सुहागिनें पूरा दिन भूखी-प्यासी रहकर पति की लंबी आयु की कामना के लिए करवाचौथ व्रत रखती हैं तथा रात को चंद्रमा को छननी से देखकर पति का चेहरा देखने के बाद पति के हाथों करवा से जल पीकर व्रत को खोलती हैं। ज्योतिष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि छननी के छिद्रों से पत्नी अपने पति के चेहरे को देखकर प्रार्थना करती हैं कि छननी में जितने छिद्र हैं, उतनी लंबी पति की आयु हो।
व्रत को खोलने के उपरांत विवाहित महिलाएं अपने से बड़ों के पांव छूकर आशीर्वाद लेती हैं तथा सरगी बांटती हैं। बुधवार को सुहागिनों ने सुबह उठकर स्नानादि कर करवाचौथ व्रत रखा। महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी नजर आईं। पंडित विपन शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में करवाचौथ का चांद 8ः09 पर निकलेगा। ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने कहा कि करवाचौथ के व्रत को पुराणों में करक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। एक कथा है कि प्रजापति दक्ष ने एक बार चंद्रमा को श्राप दिया था कि तुम क्षीण हो जाओ, जो तुम्हारा दर्शन करेगा, उस पर कलंक आएगा। तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे, फिर भगवान शंकर ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी करक चतुर्थी के दिन तुम्हारा दर्शन करेगा, उसकी सारी कामनाएं पूरी हो जाएंगी। इसके अलावा इसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है। भगवान श्रीराम ने एक बार यह कहा था कि चंद्रमा में जो काला दाग है, वह एक प्रकार से विष के समान है और ऐसे में वह अपना विष छोड़ता है, इसलिए छलनी से चांद को देखने की परंपरा है। इस दिन पत्नी यह कामना करती है कि उनके जीवन में उनका साथी के साथ कभी वियोग न हो।