उत्तराखंडदेहरादून

बाल विवाह बाल सुरक्षा अधिनियम पर जागरूकता शिविर का आयोजन

बाल विवाह से बच्चों का मानसिक और शारीरिक एवं सामाजिक विकास अवरोध हो जाता है, इसलिए कानून अत्यंत आवश्यक है।

देहरादून। उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण देहरादून के निर्देश पर आज प्राविधिक कार्यकर्ता निशा चौहान के द्वारा राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय देवथला विकास नगर मे बाल विवाह बाल सुरक्षा अधिनियम पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। सभी छात्र-छात्राओं को बताया गया कि भारत में बाल विवाह एवं बच्चों की सुरक्षा एक गंभीर सामाजिक समस्या रही है, इसे रोकने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने विभिन्न कानून बनाए हैं। इन कानून में प्रमुख के बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 एवं बाल यौन शोषण  से संरक्षण अधिनियम 2012 पोक्सो एक्ट बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष तय की गई है। यह नियम न केवल बाल विवाह को गैर कानूनी घोषित करता है, बल्कि इसे ऐसे विवाह को प्रोत्साहित करने वाले माता-पिता रिश्तेदारों और पुजारी के खिलाफ भी सजा का प्रावधान है। बाल विवाह से बच्चों का मानसिक और शारीरिक एवं सामाजिक विकास अवरोध हो जाता है, इसलिए कानून अत्यंत आवश्यक है। दूसरी ओर पोक्सो एक्ट 2012 बच्चों को यौन शोषण उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी से सुरक्षा प्रदान करता है. यह अधिनियम 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अतः अधिनियम पुलिस न्यायपालिका और स्वास्थ्य विभाग को बच्चों से जुड़े मामलों में विशेष संवेदनशीलता के साथ काम करने का निर्देश देता है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक सुरक्षित सम्मानजनक और भमुक्त  वातावरण देना है। जिससे वह स्वतंत्र रूप से अपना विकास कर सके इसके अतिरिक्त शिविर में Nalsa द्वारा जारी टोल फ्री नंबर 15100 तथा चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 एवं मानसिक शारीरिक रूप से दिव्यांगों के लिए 11416 टेली मानस नंबर की जानकारी, निशुल्क विधिक सेवा प्राधिकरण के बारे में भी बताया गया 10 may को लगने वाली लोक अदालत के बारे में भी बताया।

 

 

 

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