उत्तराखंड

विश्व भर में धर्म की पताका को फहरा रहा अंतरराष्ट्रीय ब्रह्मऋषि मिशन: डॉ. स्वामी दिनेश्वरानंद

  • अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्मऋषि मिशन आश्रम में श्री रामायण ज्ञान यज्ञ के अवसर पर आयोजित हुआ संत सम्मेलन

हरिद्वार। ब्रह्मऋषि आश्रम के अध्यक्ष स्वामी डॉ. दिनेश्वरानंद महाराज ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का जीवन चरित्र व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाता है। हम सभी उनके आदर्श से प्रेरणा लेकर सत्य के मार्ग पर अग्रसर रहना चाहिए तभी व्यक्ति का कल्याण संभव है। भूपतवाला स्थित अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्मऋषि मिशन आश्रम में श्री रामायण ज्ञान यज्ञ के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. स्वामी दिनेश्वरानंद महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम एक आदर्श पुत्र, भाई और पति होने के साथ-साथ कुशल शासक भी थे। उनके शासनकाल में व्याप्त सुव्यवस्था के कारण ही आज भी राम राज्य का उदाहरण दिया जाता है। हम सभी ब्रह्मवादिनी साध्वी स्वामी कृष्णकांता महाराज की दीर्घायु की कामना करते हैं। वयोंवृद्ध अवस्था में भी वह धर्म का प्रचार प्रसार कर मानव जाति को एक सकारात्मक संदेश प्रदान कर रही है। पुरुषार्थ आश्रम के अध्यक्ष महामनीषी निरंजन स्वामी महाराज ने कहा अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्मऋषि मिशन विश्व भर में धर्म की पताका को फहरा रहा है। देवभूमि के लिए यह गौरव का विषय है। भगवान की भक्ति व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार लगाती है। डॉ. स्वामी दिनेश्वरानंद अत्यंत सौभाग्यशाली है। देवभूमि उत्तराखंड की पावन भूमि पर उन्हें प्रभु श्रीराम के जीवन चरित्र का वर्णन करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि वर्षों की प्रतिक्षा के बाद श्रीराम लला मंदिर में विराजमान हुए हैं। भारत सहित विश्व भर के सनातन प्रेमियों में उत्सव का माहौल बना हुआ है। युवा भारत साधु समाज के महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने गुणों और कर्मों से ही पहचान बनाता है। हम सभी को उत्तम व्यवहार का परिचय देते हुए अपने जीवन को सरल और सार्थक बनाना चाहिए। स्वामी दिनेश्वरानंद महाराज साधुवाद के पात्र हैं। भारत सहित नीदरलैंड इंग्लैंड अमेरिका और यूरोप में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की पताका को फहरा रहे हैं। ऐसे महापुरुषों का तपोबल ही भारत को महान बनाता है। कार्यक्रम में पधारे संत महापुरुषों का यजमान रूपराम एवं शीला सत्तू ने फूलमाला पहनकर स्वागत किया। इस अवसर पर मंहत सुतिक्षण मुनि, महंत दिनेश दास, महंत श्रवण मुनी, महंत कृष्ण देव, महंत गुरमीत सिंह, महंत अनंतानंद, महंत शिवानंद, स्वामी हरिहरानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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