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हाटी समुदाय को एसटी के दर्जे के खिलाफ हाई कोर्ट करेगा सुनवाईए जानें किस समिति ने डाली याचिका

शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सिरमौर जिला के ट्रांसगिरि क्षेत्र को हाटी समुदाय के नाम पर जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के विरोध में दायर याचिका को सुनवाई योग्य पाते हुए केंद्र सरकार के तीन मंत्रालयों सहित राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को निर्धारित की है। कोर्ट ने मामले में बनाए सभी 11 प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक याचिका का जवाब दायर करने के आदेश भी दिए। गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति जिला सिरमौर ने आरोप लगाया है कि उनकी जनसंख्या लगभग 40 फीसदी है और उन्होंने कभी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्र का दर्जा प्राप्त करने बारे कोई भी दावा नहीं किया है। आरोप है कि प्रदेश में कोई भी हाटी जनजाति नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाटी के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दे दिया गया, जो अनुसूचित जाति के सजातीय नहीं है। किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता, जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो। देश में आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ही मौजूदा कानून के तहत क्रमशरू 15 और 27 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। अब एससी और एसटी अधिनियम में संशोधन के साथ ही हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिला के ट्रांसगिरि क्षेत्र के सभी लोगों को आरक्षण मिलना शुरू हो गया। इससे उन्हें उच्च और आर्थिक रूप से संपन्न समुदाय के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी और पंचायती राज और शहरी निकाय संस्थानों में अनुसूचित जाति समुदायों के स्थान पर अब एसटी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के हाटी समुदाय को आदिवासी दर्जा देने की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने चार अगस्त को जारी अधिसूचना के तहत ट्रांस गिरि क्षेत्र के हाटी को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर दिया था।

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